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Sunday 31 July 2022

ज्योतिष में वृक्ष पूजा क्यों की जाती हैं?(Why tree worship is done in astrology?)

Why tree worship is done in astrology?





ज्योतिष में वृक्ष पूजा क्यों की जाती हैं?(Why tree worship is done in astrology?):-सृष्टि को चलाने वाले मूल नियामक तथा संचालन शक्ति के द्वारा ही पृथ्वी पर सम्पूर्ण जड़ और चेतन पदार्थों का अस्तित्व रहता हैं। संसार में चारों ओर का वातावरण पेड़-पौधों के बिना अधूरा हैं, समस्त जगत में खुशहाली व आनन्द को प्रदान करने वाले पेड़-पौधे होते हैं, जिनके दर्शन व स्पर्श मात्र से ही मनुष्य को सुख व आराम की प्राप्ति होती हैं। पेड़-पौधों से प्राप्त होने मनुष्य की आवश्यकताओं के लिए उनकी सुरक्षा के लिए प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों ने इनका सम्बन्ध किसी न किसी देवता से जोड़ा। जिससे मनुष्य इस प्रकृति के अमूल्य धरोहर की रक्षा करते रहे। पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाली शुद्ध हवा पर मनुष्य का जीवन टिका हुआ। इसलिए मनुष्य को पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए प्रकृति से प्रेम करना चाहिए। दूसरे मनुष्य को भी इस प्रकृति को बचाये रखने के लिए उनकी हिफाजत का संदेश देना चाहिए। जिससे प्रकृति में किसी भी तरह वातावरण की भौतिक, रासायनिक और जैविक अवस्था में परिवर्तन से मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों, जलचरों, वनस्पतियों अथवा भवनों आदि को हानि होने से बचाया जा सकें।




प्रकृति प्रेम ही पर्यावरण की सुरक्षा का मूल मंत्र है। इस मंत्र को जन-जन तक पहुंचाने, इसका आदर करने या यूं कहें कि प्रदूषण फैलने से रोकने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने वृक्षों-लताओं, पशु-पक्षियों आदि को न सिर्फ देवी-देवताओं का नाम दिया, बल्कि नवग्रहों को खुश करने के लिए इनकी पूजा करने व इन्हें चारा डालने की प्रथा या परम्परा भी बनाई।




प्राचीन मान्यताएं:-भारतीय समाज में पेड़-पौधों के बारे में अनेक मान्यताएं हैं।



पीपल वृक्ष के बारे में:-ऐसी मान्यता है की पीपल के वृक्ष पर 33 करोड़ देवी-देवता का निवास करते है। इसलिए मानव पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना करते है। इसकी मूल वजह यह होता है कि पीपल का वृक्ष रात्रि को ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बनडाइऑक्साइड को ग्रहण करते है। जो ऑक्सीजन प्राणी जगत् के लिए वरदान है इसलिए इसे 'प्राण वायु' कहते है। अतः हमारे ऋषि-मुनियों पीपल वृक्ष की सुरक्षा के लिए न सिर्फ उस पर 33 करोड़ देवी-देवता का वास होना बताया, बल्कि मन्द ग्रह की शांति के लिए उसकी पूजा व परिक्रमा करने, उस पर धागा लपेटने आदि का विधान भी बनाया। इस वजह से इंसान पीपल वृक्ष को पूजते हैं और उसके काटने से डरते है।




विष्णु प्रिया पौधा के बारे में:-ऐसा कहा जाता है कि घर में वृन्दा या पृष्पसारा पौधा अवश्य लगाना चाहिए, क्योंकि इसे घर में लगाने से भगवान नारायण खुश होते हैं। घर में विष्णुप्रिया पौधा लगाने का कारण यह है कि भारत में वर्षा अधिक होती है, जिसकी वजह से मलेरिया भी अधिक होता है। मलेरिया का मूल कारण मच्छर होते है और वैज्ञानिकों ने साबित किया है, कि जिसके घर में विष्णुप्रिया पौधा लगा होता है, वहां पर मलेरिया का मच्छर नहीं पनपता है। अर्थात् विष्णुप्रिया पौधे की पूजा करने से मलेरिया से इंसान की व पूजा से विष्णुप्रिया के पौधे, दोनों की सुरक्षा हो जाती है।





वट वृक्ष के बारे में:-ऐसा कहा जाता है कि वट वृक्ष पर भूत-प्रेतों का निवास होता है। इसलिए घर के आसपास नहीं होना चाहिए। इसके पीछे मूल वजह यह है कि वट वृक्ष  बहुत ही घना होता है, अतः कोई व्यक्ति उस पर छिप सकता है तथा अंधेरा होने पर हानि पहुंचा सकता है।




प्रियंगु व वटवृक्ष के पत्ते चौड़े होते है। पत्तियों के चौड़े होने के कारण फोटोसिंथेसिस के लिए इन्हें बहुत अधिक मात्रा में जल की जरूरत होती है। अतः इनकी जड़े जल प्राप्त करने के लिए आसपास के भवनों के नीचे नींव को तोड़ती हुई दूर तक निकल जाती है और उसकी नींव कमजोर पड़ जाती हैं। इस वजह से भवन के आसपास इनको नहीं लगाना चाहिए,लेकिन इनसे मिलने वाली ऑक्सीजन से मानव वंचित नहीं रह जाये इसलिए इनकी पूजा करने,इनके नीचे अधिक समय तक रहने,इनके 108 चक्कर लगाकर सूत बांधने व अन्य कर्म करने का विधान बनाया गया है।




इनके अलावा विष्णुप्रिया, आंवला, नीम आदि को भी शुभ माना गया है। इस प्रकार प्रकृति की कोई भी वनस्पति अनुपयोगी नहीं है।




फलदार वृक्षों:-को आंगन में लगाना अशुभ माना गया है। इसकी वजह यह है कि फलों को तोड़ने के लिए बच्चे पेड़ पर चढ़कर गिर सकते है। पत्थर मारकर शीशे तोड़ सकते है।




बेल को भवन:-के पास लगाने की सलाह भी नहीं दी जाती हैं, क्योंकि इनके सहारे सांप, बिच्छू, रेंगने वाले कीड़े, चूहे आदि जहरीले जंतु घर में पहुचकर नुकसान पहुंचा सकते है।



दूध वाले पेड़:-भी अशुभ होते है, क्योंकि दूध जहरीला होता है और आंखों को कष्ट देता है।



शयनकक्ष में:-भी पौधे लगाने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि रात को कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिससे वहां रहने वालों का स्वास्थ्य बिगड़ता हैं।



भवन या परिसर में:-पोधों को उचित दिशा में लगाना भी अतिआवश्यक है। 



छोटे पौधे:-उत्तर, पूर्व व उत्तर-पूर्व में छोटे पौधे लगाना चाहिए, ताकि सूरज की रोशनी के मार्ग में कोई रुकावट न आए व सूरज से मिलने वाली ऊर्जा तथा विटामिन ए, डी आदि मानव को भरपूर मात्रा में मिल सके।



बड़े व विशाल वृक्षों:-को दक्षिण, पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए, ताकि मानव को दोपहर बाद भवन पर पड़ने वाली गर्म व हानिकारक किरणों से बच सकें।



पेड़ो की पूजा के पर्व:-ऐसे बहुत पर्व हैं जब पेड़ों की पूजा की जाती हैं।



◆वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती हैं।



◆गुरुवार के व्रत में भी कदली की पूजा करने का विधान है।



◆विष्णुप्रिया पौधे की पूजा भारतीय परिवारों में प्रतिदिन करने का विधान है।



◆विभिन्न शिवालय परिसरों में स्थित प्रियंगु के वृक्षों  को श्रद्धालु नियमित रूप से जल चढ़ाते हैं एवं उसकी पूजा-अर्चना करते हैं।

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