राशियों की शीर्षोदयी आदि संज्ञाएँ-:को तीन भागों में बांटा गया हैं:
1.शीर्षोदय राशियाँ-:जो राशियाँ पूर्वी क्षितिज पर सिर की ओर से उदित होती हैं, वे' शीर्षोदय 'राशियाँ'कहलाती हैं।
2.पृष्ठोदय राशियाँ-:जो राशियां पूर्वी क्षितिज पर पैरों की ओर उदित होती हैं, वे 'पृष्ठोदय राशियाँ'कहलाती हैं।
3.उभयोदय राशियाँ-:जो राशियां सिर एवं पृष्ठ दोनों ओर से उदित होती है, वे 'उभयोदय राशियाँ 'कहलाती हैं ।
शीर्षोदयी आदि राशियां निम्लिखित हैं:
राशियों की शीर्षोदयी आदि संज्ञाएँ
संज्ञक | राशियाँ |
---|---|
शीर्षोदय | सिंह,कन्या,तुला,वृश्चिक,मिथुन एवं कुम्भ |
पृष्ठोदय | मेष,वृषभ,कर्क,धनु एवं मकर |
उभ्योदयी | मीन |
शीर्षोदयी आदि राशियों का फल-निम्नलिखित हैं:
1.शीर्षोदय राशियाँ-: जब ग्रह रहित होती हैं ,तब वे शुभ फलदायक होती है।
(1.) यदि शीर्षोदय राशि में पाप ग्रह स्थित हो ,तो मध्यम फल प्राप्त होता है, और यदि शुभ ग्रह से उसका संबंध हो, तो अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं ।
(2.)शीर्षोदय राशि में स्थित ग्रह शीघ्र फल देते हैं।
(3.)शीर्षोदय राशि में स्थित ग्रह अपनी दशा के आरंभ में फल प्रदान करते हैं।
(4.)प्रश्नकुंडली में लग्न यदि शीर्षोदय राशि की है, तो शीघ्र कार्य होने के संकेत हैं।
2.पृष्ठोदय राशियाँ-: जब ग्रह रहित होती हैं ,तब वे अशुभ फलदायक होती हैं।
(1.) यदि पृष्ठोदय राशि में पाप ग्रह स्थित हो ,तो अत्यन्त अशुभ फल प्राप्त होते है और यदि शुभ ग्रह से उसका संबंध हो तो मध्यम फल प्राप्त होते हैं ।
(2.)पृष्ठोदय राशिमें स्थित ग्रह विलम्ब से फल देते हैं।
(3.) पृष्ठोदय राशि स्थित ग्रह अपनी दशा के अंतिम भाग में फल प्रदान करते हैं।
(4.)प्रश्नकुंडली में लग्न यदि पृष्ठोदय राशि की है, तो विलंब से कार्य होने का संकेत हैं।
3.उभयोदय राशियाँ-:जब ग्रह रहित होती हैं ,तब वे शुभाशुभ फलदायक होती हैं।
(1.)उभयोदय राशि में स्थित ग्रह मध्यम समय मे फल प्रदान करते हैं।
(2.)उभयोदय राशि में स्थित ग्रह अपनी दशा के मध्य भाग में फल प्रदान करते हैं।
(3.)प्रश्नकुंडली में लग्न यदि उभयोदय राशि की हैं, तो मध्यम समय में कार्य होने का संकेत हैं।
मिथुन राशि को छोड़कर शीर्षोदय राशि दिन में बली होती है। शेष राशियां रात्रि में बली होती है।
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