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Monday 8 August 2022

शिव पञ्चरत्नम् स्तुति(Shiva Pancharatnam Stuti)

Shiva Pancharatnam Stuti





शिव पञ्चरत्नम् स्तुति(Shiva Pancharatnam Stuti):-भगवान शिवजी की अनुकृपा पाने के लिए श्रीकृष्णजी ने शिवपञ्चरत्नम् स्तुति की रचना की थी। इस स्तुति में पांच श्लोक हैं। इन पांच श्लोकों में शिवजी को अपनी पूजा से किस तरह से खुश किया जाता हैं, उनको खुश करने के लिए शिव पञ्चरत्नम् स्तुति का वांचन मनुष्य को नियमित रूप से करना चाहिए। जो मनुष्य नियमित रूप से इस स्तुति को करते हैं, उनको त्रिदेवों एवं त्रिदेवियों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जाता हैं। यह स्तुति शिवपुराण में बताई गई हैं, जो इस तरह हैं-


 

अथ शिवपञ्चरत्नम् स्तुति शिवमहापुराणे:-शिवपुराण में भगवान शिवजी को खुश करने के लिए श्रीकृष्णजी के द्वारा र्चित शिवपञ्चरत्नम् स्तुती के बारे में वर्णन मिलता हैं।



      ।।अथ शिवपञ्चरत्नम् स्तुती शिवमहापुराणे।।


श्रीकृष्ण उवाच:-भगवान श्रीकृष्णजी कहते हैं, की मनुष्य को नियमित रूप से शिवपञ्चरत्नम् स्तुती का वांचन करते रहना चाहिए, जिससे भगवान भोलेनाथ जी का आशीर्वाद मनुष्य को मिल सके, क्योंकि भगवान भोलेनाथजी सबसे पहले अपने भक्त की भक्ति पर प्रसन्न होते हैं।



मत्तसिन्धुरमस्तकोपरि नृत्यमानपदाम्बुजम्।


भक्तचिन्तितसिद्धिदानविचक्षणं कमलेक्षणम्।


भुक्तिमुक्तिफलप्रदं भवपद्मजाSच्युतपुजितम्।


कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्।।१।।



वित्तदप्रियमर्चितं कृतकृच्छ्रतीव्रतपश्चरैः।


मुक्तिकामिभिराश्रितैर्मुनिभिर्दृढामलभक्तिभिः।


मुक्तिदं निजपादपङ्कजसक्तमानसयोगिनाम्।


कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्।।२।।



कृतदक्षमखाधिपं वरवीरभद्रगणेन वै।


यक्षराक्षससमर्त्यकिन्नरदेवपन्नगवन्दितम्।


रक्तभुग्गणनाथहृदभ्रमराञ्चिताङ्घ्रिसरोरुहम्।


कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्।।३।।



नक्तनाथकलाधरं नगजापयोधरनीरजा- 


लिप्तचन्दनपङ्ककुङ्कुमपङ्किलामलविग्रहम्।


शक्तिमन्तमशेषसृष्टिविधायकं सकलप्रभुम्।


कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्।।४।।



रक्तनीरजतुल्यपादपयोजसन्मणिनूपुरम्।


पत्तत्रयदेहपाटनपङ्कजाक्षशिलीमुखम्।


वित्तशैलशरासनं पृथुशिञ्जिनीकृततक्षकम्।।५।।



फलश्रुतिः-फलश्रुति का मतलब हैं, इसमे किसी भी कर्म को करने पर उस कर्म के करने से प्राप्त होने वाले फल के बारे में वर्णन होता हैं। जिससे सुनकर या पढ़कर या वांचन करके मनुष्य में उस कर्म को करने की तरफ जागृति होती हैं।



यः पठेच्च दिने दिने स्तवपञ्चरत्नमुमापतेः।


प्रातरेव मया कृतं निखिलाघतूलमहानलम्।


तस्य पुत्रकलत्रमित्रधनानि सन्तु कृपाबलात्।


ते महेश्वर शङ्कराखिल विश्वनायक शाश्वत।।६।।



अर्थात्:-जो मनुष्य प्रतिदिन शिव पञ्चरत्न स्तुति का वांचन करता हैं, जिस तरह प्रातःकाल के समय पर बारहमासी बेंत की तरह का एक पौधा होता हैं, उसके गूदेदार बिना रेशे की जड़ से पुष्प खिलता रहता है। जो मनुष्य प्रातःकाल को स्तुति करते हैं, उनको पुत्र सन्तान, सुयोग्य भार्या, मित्र और धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती हैं, इस स्तुति की कृपा से होती है। भगवान शिवजी जो विश्व का संचालन करने वाले प्रत्यक्ष है।



।।इति श्रीशिव महापुराणे च्युतपुरी माहात्म्ये श्रीकृष्ण कृत श्रीशिवपञ्चरत्नस्तुतिः सम्पूर्णम्।।



श्रीशिव पञ्चरत्नम् स्तुति का वांचन करने से मिलने फायदे:-श्रीशिव पञ्चरत्नम् स्तुति का वांचन जो मनुष्य करते हैं, उनको भगवान शिवजी के द्वारा अनेक तरह के फायदे प्रदान करते हैं, जो इस तरह हैं-


1.पुत्र सन्तान पाने हेतु:-जिन मनुष्य को पुत्र सन्तान की चाहत होती हैं और उनको पुत्र सन्तान नहीं हो पाती हैं, तब उन दम्पति को भगवान शिवजी के श्रीशिव पञ्चरत्नम् स्तुति का वांचन शुरू करना चाहिए। जिससे भगवान शिवजी अनुकृपा उस दम्पति पर हो जाती हैं और पुत्र सन्तान की प्राप्ति भी हो जाती हैं। 


2.सुयोग्य भार्या एवं भरतार पाने हेतु:-लड़कीयों एवं लड़को को सुंदर व सुशील गुणवान भरतार एवं भार्या की चाहत को पूर्ण करने के लिए इस स्तुति को करने पर मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। 


3.अच्छे एवं मदद करने वाले मित्र:-मनुष्य को अपने जीवन में मददगार एवं अच्छे मित्र की जरूरत होती हैं, इसकी पूर्ति के लिए शिवजी की स्तुति करने पर मददगार एवं अच्छे मित्र की प्राप्ति होती हैं।


4.धन-संपत्ति पाने हेतु:-मनुष्य अपने जीवन में भागदौड़ करते है, तब भी वे धन-संपत्ति को संचय नहीं कर पाते हैं। इस तरह की परेशानी से मुक्ति का उपाय शिवजी की स्तुति से संभव हो जाता है।


5.समस्त तरह की सिद्धि पाने हेतु:-मनुष्य बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन तब वे उनके बनते हुए कार्य बिगड़ जाते हैं, जिससे उनके मन में निराशा के भाव उत्पन्न हो जाते है। इस तरह अपने समस्त तरह के कार्य में सफलता को पाने हेतु मनुष्य को श्रीशिव पञ्चरत्नम् स्तुति का वांचन करना चाहिए।

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