राशियों की चतुष्पद आदि संज्ञाएँ--निम्नानुसार हैं:
(1.)चतुष्पद राशियाँ---चतुष्पद का अर्थ है, जिनके चार पैर होता हैं।
(2.)द्विपद या नर राशियाँ---द्विपद या नर का अर्थ है, जिनके दो पैर होते हैं। जिन राशियों में या उनके भाग में मानवाकृति हैं।
(3.)जलचर राशियाँ----जलचर का अर्थ है, जो जल में विचरण करते है या रहते हैं।
(4.)किटसंज्ञक राशियाँ---किट का अर्थ है, जो पर आश्रित होते हैं।
राशियों की चतुष्पद आदि संज्ञाएँ
संज्ञाएँ | चतुष्पद | द्विपद या नर | जलचर | किट |
---|---|---|---|---|
राशियाँ | मेष,वृषभ तथा सिंंह राशियाँ। | मिथुन, कन्या, तुला, धनु का पूर्वार्ध तथा कुम्भ राशियाँ। | कर्क,मकर का उत्तरार्ध तथा मीन राशियाँ | वृश्चिक |
राशियों की चतुष्पद आदि संज्ञाएँ का उपयोग एवं फल-:निम्ननलिखित हैं:
● इनका उपयोग वैवाहिक मेलापन में वश्यकूट में होता हैं। उक्त वर्गीकरण प्रमुखत: राशियों की आकृति एवं उसके नैसर्गिक विचरण क्षेत्र पर आधारित है।
●चतुष्पद राशियाँ दशम भाव एवं दक्षिण दिशा में बली होती हैं।यदि रात्रि में जन्म हो,तो चतुष्पद संज्ञक राशियाँ केंद्र भावों में बलवान होती हैं।
●द्विपद राशियाँ प्रथम भाव एवं पूर्व दिशा में बली होती हैं।यदि दिन में जन्म हो,तो द्विपद संज्ञक राशियाँ केंद्र भावों में बलवान होती हैं।
●जलचर राशियाँ चतुर्थ भाव एवं उत्तर दिशा में बली होती हैं।यदि रात्रि में जन्म हो,तो जलचर संज्ञक राशियाँ केंद्र भावों में बलवान होती हैं।
●कीट संज्ञक राशियाँ सप्तम भाव एवं पश्चिम दिशा में बली होती हैं।सन्ध्या में तथा यदि प्रात: या सायंकाल में जन्म हो,तो कीट संज्ञक राशियाँ केंद्र भावों में बलवान होती हैं।
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