काल पुरुष के अंगों में राशियों का न्यास-:जो अव्यक्त आत्मा भगवान् काल स्वरूप विष्णु है, उनके अंग ही मेषादि द्वादश राशियाँ है। काल पुरुष के विभिन्न अंगों में राशियों का न्यास निम्नलिखित हैं:
कालपुरुष के अंगों में राशियों का न्यास
राशियाँ | काल पुरूष का अंग |
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मेष | सिर (मस्तक) एवं उससे ऊपर का भाग। |
वृषभ | मुख के अन्य अंग यथा आँखे, नाक, कान,मुँह, ठोड़ी एवं गर्दन तक का भाग। |
मिथुन | वक्ष स्थल छाती का ऊपरी भाग एवं भुजाएँ। |
कर्क | ह्रदय,महिलाओं का वक्ष स्थल एवं उदर से ऊपर का भाग। |
सिंह | कुक्षि,उदर का ऊपरी भाग या नाभिप्रदेश से ऊपर का क्षेत्र। |
कन्या | कटिप्रदेश एवं नाभि से बस्ति तक का क्षेत्र। |
तुला | बस्ति।नाभि से गुप्तांग तक के क्षेत्र को दो भागों में निचला भाग बस्ति एवं ऊपरी भाग कन्या का क्षेत्र। |
वृश्चिक | जननेन्द्रियों एवं गुदा। |
धनु | दोनों जाँघे एवं नितम्ब। |
मकर | दोनों घूटने एवं उनके पीछे का क्षेत्र। |
कुम्भ | दोनों पिंडलियाँ एवं उनके आगे का भाग। |
मीन | दोनों पैर। |
काल पुरुष के अंगों में राशियों का न्यास का उपयोग-: निम्नलिखित हैं:
●जिस राशि में शुभ ग्रह हो या वह शुभ ग्रह से देखा जाए, तो जातक का उस राशि से सम्बन्धित अंग स्वस्थ और पुष्ट होगा।
●यदि राशि पाप ग्रह से द्रष्ट या युक्त हो, तो अंग कमजोर, दुर्बल एवं पीड़ा युक्त होगा।
●जिस ग्रह की दशा विद्यमान हैं और वह निर्बल एवं अशुभ फलदायक ग्रह है, तो दशानाथ जिस राशि में स्थित होगा या जिस राशि का वह स्वामी होगा, उससे सम्बन्धित अंगों में पीड़ा एवं रोग उत्पन्न करता हैं।
●तृतीयेश,कर्मेश एवं एकादशेश जिस-जिस राशि में स्थित हों और जातक की कुंडली में चिकित्सक बनने के योग हो, तो जातक उन राशियों से सम्बन्धित अंगों का चिकित्सक होता हैं।
●फलित ज्योतिष के अन्य क्षेत्रों में कालपुरुष के अंगों में स्थित राशि का उपयोग होताा हैं।
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