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Monday 16 November 2020

कन्या जन्मराशि लग्न वालों का फल

 कन्या जन्मराशि लग्न वालों का फल

राशि परिचय-: भचक्र की षष्ठम राशि कन्या स्वरूप में कन्या सम हैं। यह पृथ्वीतत्व,तमोगुणी, शील,दिनबली, स्वभाव,दक्षिण दिशा स्वामिनी,शीर्षोदयी,स्त्रीलिंग,अन्नभंडारों ,बाग-बगीचों में रहने वाली, वास्तविक कार्यसंपन्ना शुभ राशि हैं। सूर्य इस राशि में 22 अगस्त के आसपास  प्रतिवर्ष  प्रवेश करता है और 22 सितंबर तक  रहता है। इसका विस्तार  150°अंश से 180°अंश तक है। बुध इस राशि का स्वामी ग्रह है और बुध की ही यह उच्च राशि भी हैंं। शुक्र की यह नीच राशि हैंं। बुध,सूर्य और चंद्रमा इस राशि के कारक ग्रह हैं। बुध+शुक्र युति सफल योग हैं। 

शारीरिक बनावट-: कन्या लग्न राशि में जन्में व्यक्तियों का कद सामान्यतःमध्यम, इकहरे बदन और शरीर कोमल होता हैं। सुंदर व आकर्षक आंखे, लंबी नाक और होंठ पतले होते हैं। वाणी तेज और धीमी, मस्तक आगे की ओर उभरा हुआ, बाल काले और चलने की गति तेज होती है। इनकी उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
स्वभाव एवं मनोवृति-: कन्या लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका का स्वभाव नरम,अस्थिर,वातावरण और स्थिति के अनुसार बदल जाते हैं। मेधावी, बुद्धिमान, गणितज्ञ, विनम्र, भावुक, मिष्ट भाषी( मीठा बोलने वाले) और लज्जाशील,कल्पनाशील, सूक्ष्मदर्शी,आत्मविश्वास की कमी, शांत चित्त एवं एकांतप्रिय मनोवृति के होते हैं। उतावले, क्रोधी, डरपोक और कामुक होते हैं। दूसरों की कमियां निकालने की आदत होती हैं। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का अहित करने में भी कभी नहीं चूकते हैं। इनको समझाना बड़ा मुश्किल होता है। संगीत और सौंदर्य के पुजारी होते हैं।
स्वास्थ्य एवं रोग-:कन्या लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका सामान्यतः स्वस्थ रहते हुए उम्र के साथ-साथ स्थूल होते जाते हैं। अनियमित और असंतुलित भोजन करने से पाचन संस्थान प्रवाहित होता है। फलस्वरूप पीलिया जैसे रोग हो सकते हैं। चिंता और डर से स्नायु तंत्र भी कमजोर हो जाता है। वात,पित्त,कफ के रोग, नाक,कान व गले के रोग, खाज, खुजली, पीठ दर्द, कमर दर्द जैसे रोगों की संभावना हर समय बनी रहती हैं।
विवाह और परिवार-: कन्या लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका का विवाह विलंब से होता है। विचारों तथा स्वपनों की दुनिया में हर समय खोये रहते हैं। किंतु दुनियादारी की समझ होती हैं। परिवार से मिलकर चलने की प्रवृत्ति होती हैं। कन्या संतान होने के अवसर अधिक होते हैं। माता-पिता के प्रति लगाव होता है। धन व संपत्ति संचय में अधिक समय देते हैं। भ्रमणशील होते हैं। अधिक समय तक घर से दूर रहते हैं। संतान के प्रति बहुत कम मोह होता हैं।
नौकरी या व्यवसाय-: कन्या लग्न राशि का स्वामी ग्रह बुध जो विद्या वाणी का कारक होने से इस लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका उच्च शिक्षा प्राप्त करके अच्छे डॉक्टर, ऑडिटर, अकाउंटैंट, वकील, पत्रकार, संपादक, प्रकाशक,शिक्षक एवं सेल्सएजेंट बन सकते हैं। सौंदर्य प्रसाधनों, संगीत वाद्यों के व्यवसायी हो सकते हैं। ज्योतिष में रुचि होती हैं। राजनीति क्षेत्र में भी कूद सकते हैं। नौकरी के अवसर अधिक संभावित हैं
महत्वपूर्ण एवं शुभ-: कन्या लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका के भाग्योदय कारक वर्षों में 25, 32, 35, 36,42 वें वर्ष तथा अन्य महत्वपूर्ण वर्षों में 23,41, 50,59,68,77  वें वर्ष प्रमुख हैं। 
दिनों या वारों में में बुधवार, रविवार और शुक्रवार शुभ वार है।
 रंगों में हरा और पीला रंग शुभ है। 
अंको में 2,3,5,6,7 शुभ अंक हैं।
शुभ नग पन्ना को पहनने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने के आसार बनते हैं। प्रातः सूर्य को जल देना और नमस्कार करना शुभ रहेगा। गायत्री मंत्र का जाप करते रहना भी शुभ और लाभकारी रहता है।
मैत्री संबंध और सावधानियाँ-: कन्या लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका का मकर, मीन एवं वृषभ लग्न वाले व्यक्तियों से मैत्री संबंध रखना अधिक लाभकारी एवं शुभ रहता है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती हैं। दूध से बने खट्टे पदार्थों और हरी सब्जियों का प्रयोग करें। खाने में नियमितता बरतें। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की हानि या निन्दा करना छोड़े। दूसरों की भलाई में ही अपनी भलाई है। 
कन्या लग्न राशि में जन्में व्यक्ति-: सम्राट शाहजहाँ, अमेरिकी राष्ट्रपति जान एफ. केनेडी, गायिका मलिका सुरैया, नैपोलियन बोनापार्ट, प्रधानमंत्री  नरसिम्हाराव, राजबहादुर फतेह सिंह भोंसले आदि हैं।

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