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Monday 16 November 2020

जन्मलग्न कर्क एवं जन्मराशि कर्क वाले व्यक्तियों का फल

जन्मलग्न कर्क एवं जन्मराशि कर्क वाले व्यक्तियों का फल

राशि परिचय-:भचक्र की चतुर्थ राशि कर्क आकृति में मान,जलतत्व,सतोगुणी,स्त्रीलिंग,सौम्य,रात्रिबली,पृष्ठोदयी, शीत, चर, उत्तर दिशा स्वामिनी,मानसिकविस्तारवाली,झीलों, नदियों आदि में रहने वाली एक शुभ राशि हैं। प्रतिवर्ष अंग्रेजी महीना की 21 जून के आसपास सूर्य इस राशि में प्रवेश करता है और 21 जुलाई तक रहता है इसका विस्तार 90°अंश से 120°अंश हैं। चंद्रमा इस राशि का स्वामी ग्रह  व शनि इसका शत्रु ग्रह है। गुरु की यह उच्च राशि तथा मंगल की नीच राशि है। गुरु, मंगल, शनि, और स्वयं चंद्रमा शुभ लाभकारी एवं कारक ग्रह है।मंगल, मंगल+चंद्रमा सफल योग हैं।

शारीरिक बनावट-: कर्क लग्न राशि में जन्में व्यक्ति सामान्य कद वाले,इनकी मुखाकृति सुंदर व आकर्षक, चेहरा गोल आंखें काली या नीली भुरी,नाक छोटी,छाती चौड़ी एवं हाथ-पैर छोटे होते हैं। शरीर से स्थूलकाय होते हैं। अंग प्रत्यंग-लचीले एवं नरम होते हैं। चल फिर सकते हैं।

स्वभाव एवं मनोवृति-:कर्क लग्न राशि में जन्में व्यक्तियों का स्वभाव परिवर्तनशील, कल्पनाशक्ति उच्च कोटि की बुद्धिमान,संवेदनशील,भावुक, उदारहृदयी, न्यायप्रिय,मिलनसार,दयालु और घूमने-फिरने के शौकीन होते हैं। यात्रायें अधिक करते हैं। इनमें कोई नया कार्य कर गुजरने की ललक होती है। धन के प्रति सावधान रहते हैं। दूरदर्शी एवं परोपकारी मनोवृत्ति होती हैं। कभी साहसी दिखाई देते हैं तो कभी डरपोक। इन्हें प्यार से जीता जा सकता है। इनकी स्मरण शक्ति तेज होती हैं। बातूनी होते हैं। इनमें दूसरों के दोष निकालने की बुरी आदत होती है।

स्वास्थ्य एवं रोग-: कर्क लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका का  स्वास्थ्य उम्र के साथ-साथ ठीक होता जाता है। बचपन में निमोनिया जैसी बीमारियां व इनके फेफड़े कमजोर होने से इन्हें ठंड लगना,जुखाम-खांसी होना, बुखार आना,आम बात हैं।छाती के रोग,कब्जी होना,रक्त विकार,पीलिया रोग हो सकते हैं। स्त्रियों को हिस्टीरिया रोग भी हो जाता है। नींद ना आना,नींद आये तो स्वपन देखना आदि बीमारियाँ अक्सर हो जाती हैं।

विवाह और परिवार-: कर्क लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका का विवाह 20 से 22 वर्ष की उम्र में हो जाता है। इनका अपनी माता एवं मातृभूमि के प्रति पूर्ण लगाव होता है  घूमने-फिरने के बाद परिवार में आकर,परिवार से मिलकर प्रसन्न रहते हैं। आदर व आज्ञाकारीता को बहुत महत्व देते हैं। संतान के प्रति भी पूरा लगाव होता है। जीवन के सुख-दु:ख परिवार के साथ संजोते हैं। पैतृक संपत्ति मिल जाती हैं। स्वंय भी धन संचय कर लेते हैं और परिवार की देखभाल में सदैव प्रयासरत रहते हैं।

नौकरी या व्यवसाय-: कर्क लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका को कला और सौन्दर्य में काफी रुचि, संगीत व सजावट को बड़ा महत्व देते हैं। उच्च शिक्षा ग्रहण करके प्रशासक या न्यायाधीश बन सकते हैं। यातायात या टूरिज्म एवं सेल्स एजेंट हो सकते हैं। रत्न व्यवसायी, दवा विक्रेता, दूध व दूध से बनी वस्तुओं के व्यवसायी या रंग रोगन व्यवसायी हो सकते हैं। अच्छे राजनीतिज्ञ हो सकते हैं। राजनीति में सर्वोच्च पद तक पहुंच सकते हैं। सन्यासी हो सकते हैं।

महत्वपूर्ण एवं शुभ-:कर्क लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका के भाग्योदय कारक वर्षों में 24,25, 28, 32,36,40 वें वर्ष तथा अन्य महत्वपूर्ण वर्षों में 20, 29,38,47,56,65 और 74 वें वर्ष प्रमुख है।

दिनों में रविवार, सोमवार और मंगलवार शुभ वार है।

रंगों में श्वेत,लाल और पीला रंग शुभ रंग है।

अंको में 4,6,8 अंक शुभ हैं। 

इस लग्न राशि वालों की कुंडली में निर्बल हो व अशुभ चंद्रमा हो, तो गुस्सा या चिड़चिड़ापन आ जाता है। अतः स्वच्छ मोती या सफेद पुखराज पहनना लाभकारी और आरामदेह रहता है। कष्टकारी समय में गायत्री पाठ करने से शांति मिलती हैं। 

मैत्री संबंध एवं सावधानियां-: कर्क लग्न राशि में जन्में जातक या जातिका को वृश्चिक, मकर, मीन लग्न वालों से मैत्री संबंध रखने पर अधिक लाभ मिल सकता है और  साझेदारी कायम रह सकती हैं। अधिक ठंड से बचना एवं मानसिक श्रम कम करना चाहिए। दूसरों की निंदा या आलोचना ठीक नहीं है एवं आवेश का त्याग करना चाहिए।

कर्क लग्न राशि में जन्में व्यक्ति-: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, वीर विक्रमादित्य, गौतम बुद्ध, पंडित मदन मोहन मालवीय, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मेनका गांधी, प्रिंस चार्ल्स, अरविंद घोष, लोकमान्य तिलक,चंगेज खान आदि हैं।

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