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Sunday 21 May 2023

श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् और लाभ

श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् और लाभ (Sri Siddhivinayak Stotram and benefits):-श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् में भगवन् गणपति जी के बारे में बताया गया है। सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय श्री गणपति जी सभी तरह के विघ्नों को हरने वाले है। गणपति जी के इस स्तोत्रम् का जो मनुष्य नियमित रूप से जाप करता है या बांचन करता हैं उस पर श्रीगणेश जी की अनुकृपा बनी रहती है। इस स्तोत्रम् का पाठ करने से मनुष्य को अपने जीवनकाल में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। भगवान गणपति जी बुद्धि के व ज्ञान के देवता है, इसलिए गणपतिजी से बुद्धि व ज्ञान की प्राप्ति के उनसे प्रार्थना करनी चाहिए। भगवन् लम्बोदर जी के इस स्तोत्रम् का जाप करना चाहिए।





Sri Siddhivinayak Stotram and benefits






।।अथ श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् ।।


जयोSस्तु ते गणपते देहि मे विपुलां मतिम्।


स्तवनम् ते सदा कर्तुं स्फूर्ति यच्छममानिशम्।।1।।


प्रभुं मङ्गलमूर्तिं त्वां चन्द्रेन्द्रावपि ध्यायतः।


यजतस्त्वां विष्णुशिवौ ध्यायतश्चाव्ययं सदा।।2।।


विनायकं च प्राहुस्त्वां गजास्यं शुभदायकम्।


त्वन्नाम्ना विलयं यान्ति दोषाः कलिमलान्तक।।3।।


त्वत्पदाब्जाङ्कितश्चाहं नमामि चरणौ तव।


देवेशस्त्वं चैकदन्तो मद्विज्ञप्तिं शृणु प्रभो।।4।।


कुरु त्वं मयि वात्सल्यं रक्ष मां सकलानिव।


विघ्नेभ्यो रक्ष मां नित्यं कुरु मे चाखिलाः क्रियाः।।5।।


गौरिसुतस्त्वं गणेशः शॄणु विज्ञापनं मम।


त्वत्पादयोरनन्यार्थी याचे सर्वार्थ रक्षणम्।।6।।


त्वमेव माता च पिता देवस्त्वं च ममाव्ययः।


अनाथनाथस्त्वं देहि विभो मे वाञ्छितं फलम्।।7।।


लम्बोदरस्वम् गजास्यो विभुः सिद्धिविनायकः।


हेरम्बः शिवपुत्रस्त्वं विघ्नेशोऽनाथबान्धवः।।8।।


नागाननो भक्तपालो वरदस्त्वं दयां कुरु।


सिन्दूरवर्णः परशुहस्तस्त्वं विघ्ननाशकः।।9।।


विश्वास्यं मङ्गलाधीशं विघ्नेशं परशूधरम्।


दुरितारिं दीनबन्धूं सर्वेशं त्वां जना जगुः।।10।।


नमामि विघ्नहर्तारं वन्दे श्रीप्रमथाधिपम्।


नमामि एकदन्तं च दीनबन्धू नमाम्यहम्।।11।।


नमनं शम्भुतनयं नमनं करुणालयम्।


नमस्तेऽस्तु गणेशाय स्वामिने च नमोऽस्तु ते।।12।।


नमोऽस्तु देवराजाय वन्दे गौरीसुतं पुनः।


नमामि चरणौ भक्त्या भालचन्द्रगणेशयोः।।13।।


नैवास्त्याशा च मच्चित्ते त्वद्भक्तेस्तवनस्यच।


भवेत्येव तु मच्चित्ते ह्याशा च तव दर्शने।।14।।


अज्ञानश्चैव मूढोऽहं ध्यायामि चरणौ तव।


दर्शनं देहि मे शीघ्रं जगदीश कृपां कुरु।।15।।


बालकश्चाहमल्पज्ञः सर्वेषामसि चेश्वरः।


पालकः सर्वभक्तानां भवसि त्वं गजानन।।16।।


दरिद्रोऽहं भाग्यहीनः मच्चित्तं तेऽस्तु पादयोः।


शरण्यं मामनन्यं ते कृपालो देहि दर्शनम्।।17।।


इदं गणपतेस्तोत्रं यः पठेत्सुसमाहितः।


गणेशकृपया ज्ञानसिध्धिं स लभते धनम्।।18।।


पठेद्यः सिद्धिदं स्तोत्रं देवं सम्पूज्य भक्तिमान्।


कदापि बाध्यते भूतप्रेतादीनां न पीडया।।19।।


पठित्वा स्तौति यः स्तोत्रमिदं सिद्धिविनायकम्।


षण्मासैः सिद्धिमाप्नोति न भवेदनृतं वचः


गणेशचरणौ नत्वा ब्रूते भक्तो दिवाकरः।।20।।



।।इति श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् अर्थ सहित।।


    ।।जय बोलो श्री गणपति जी की जय।।



श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् का लाभ:-निम्नलिखित हैं।



◆जीवन में कामयाबी हेतु:-जो व्यक्ति नियमित रूप से स्तोत्रं का वांचन करते हैं, उनको अपने जीवन में सभी तरह की कामयाबी मिल जाती हैं।


◆सभी मन की मुराद हेतु:-मनुष्य के मन में सोची हुई मुराद पूरी हो जाती हैं।



◆रुपये-पैसों हेतु:-मनुष्यों को अपने जीवन काल में किसी के आगे रुपये-पैसों के लिए दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता हैं।



◆बुद्धि की प्राप्ति हेतु:-जो मनुष्य बुद्धि से कम अक्लमंद होते हैं, उनको स्तोत्रं के वांचन करने से अक्लमंद हो जाते हैं।


◆बुरी ताकतों से मुक्ति हेतु:-बाहरी जगत् की बुरी ताकतें जैसे-भूत-प्रेत व डाकिनी-शाकिनी आदि के प्रभाव से मुक्ति मिल जाती हैं।



◆भाग्य का साथ पाने हेतु:-जब मनुष्य को अपने जीवन में भाग्य का साथ नहीं मिलता हैं, तो सिद्धिविनायक स्तोत्रं का वांचन शुरू करने पर भाग्य का साथ मिलने लग जाता हैं।



◆सन्तान पाने हेतु:-जिन दम्पतियों को शादी करने के बाद भी संतान की चाहत पूर्ण नहीं होती हैं, उनको सिद्धिविनायक स्तोत्र का वांचन शुरू करना चाहिए, जिससे उनको संतान की प्राप्ति हो सके।


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