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Saturday 12 February 2022

हनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं और लाभ (Hanumantprokta Mantrarajatik Ramstav Stotram and Benefits)





हनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं और लाभ (Hanumantprokta Mantrarajatik Ramstav Stotram and Benefits):-हनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं की रचना श्रीपवनपुत्र हनुमानजी ने की थी। इस स्तोत्रं में भगवान श्रीरामजी की सुग्रीवजी की वानर सेना की मदद से रावण का वध करने, विभीषण को अपने शरण में लेकर राज्य आदि प्रदान करने, समस्त ऋषि-मुनियों सहित देवताओं के द्वारा पूजित, अपने तेज से समस्त लोक में दीप्ति फैलाने वाले, अपने क्रियाकलापों के द्वारा समस्त जगहों में वासित, अज्ञानता को दूर करने वाले, नाम मात्र से पाप का नाश करने वाले, भक्तों की भक्ति को समान महत्व देकर इच्छापूर्ति करके, उद्धार करने वाले, समस्त भक्तों पर दया भाव रखने वाले आदि गुणों के बारे में हनुमानजी ने गुणगान किया हैं। हनुमानजी भगवान रामजी की सेवा में हमेशा तैयार रहने वाले होते हैं। भगवान रामजी का जहां पर भी गुणगान होता हैं वहां पर हनुमानजी अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए दौड़े-दौड़े चले जाते हैं।




।।अथ श्रीहनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं।।


तिरश्चामपि चारातिसमवायं समेयुषाम्।

यतः सुग्रीवमुख्यानां यस्तमुग्रं नमाम्यहम्।।१।


सकृदेव प्रपन्नाय विशिष्टामैरयच्छ्रियम्।

विभीषणायाब्धितटे यस्तं वीरं नमाम्यहम्।।२।।


यो महान् पूजितो व्यापी महान् वै करुणामृतम्।

श्रुतं येन जटायोश्च महाविष्णुः नमाम्यहम्।।३।


तेजसाप्यायिता यस्य ज्वलन्ति ज्वलनादयः।

प्रकाशते स्वतन्त्रो यस्तं ज्वलन्तं नमाम्यहम्।।४।।


सर्वतोमुखता येन लीलया दर्शिता रणे।

रक्षसां खरमुख्यानां तं वन्दे सर्वतोमुखम्।।५।।


नृभावं यः प्रपन्नानां हिनस्ति च तथा नृषु।

सिंहः सत्त्वेष्विवोत्कृष्टस्तं नृसिंहं नमाम्यहम्।।६।।


यस्माद्विभ्यति वातार्कज्वलनेन्द्राः समृत्यवः।

भियं तनोति पापानां भीषणं तं नमाम्यहम्।।७।।


परस्य योग्यतापेक्षारहितो नित्यमङ्गलम्।

ददात्येव निजौदार्याद्यस्तं भद्रं नमाम्यहम्।।८।।


यो मृत्युं निजदासानां नाशयत्यखिलेष्टदः।

तत्रोदाहृतये व्याधो मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्।।९।।


यत्पादपद्मप्रणतो भवत्यत्तमपुरुषः।

तमजं सर्वदेवानां नमनीयं नमाम्यहम्।।१०।।


अहंभावं समुत्सृज्य दास्येनैव रघुत्तमम्।

भजेSहं प्रत्यहं रामं ससीतं सहलक्ष्मणम्।।११।।


नित्यं श्रीरामभक्तस्य किंकरा यमकिंकराः।

शिवमय्यो दिशस्तस्य सिद्धयस्तस्य दासिकाः।।१२।।


इमं हनूमता प्रोक्तं मन्त्रराजात्मकं स्तवम्।

पठत्यनुदिनं यस्तु स रामे भक्तिमान् भवेत्।।१३।।

अर्थात:-हे रामजी! जो कोई भी भक्त हनुमानजी के द्वारा हनूमता प्रोक्त मन्त्रराजात्मक स्तोत्रं का हमेशा वांचन करते है, वह भक्त श्रीरामजी का भक्त हो जाता हैं और भगवान के चरणों स्थान को पाता है।


।।इति श्रीहनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं संपूर्ण।।

    ।।जय बोलो दशरथनन्दन श्रीरामजी की जय।।


श्रीहनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं के वांचन से लाभ:-श्रीहनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं के वांचन करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

◆भगवान के चरणों में जगह मिलना:-जो मनुष्य भक्त नियमित रूप से श्रीहनुमत्प्रोक्त मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्रं का वांचन करते हैं, उनको भगवान श्रीरामजी के चरण कमलों की सेवा का मौका मिलता हैं।


◆बुरी शक्तियों एवं बुरे विचार से मुक्ति मिलना:-जो भक्त नियमित रूप से स्तोत्रं को सच्चे मन से वांचन करते हैं, उन पर भगवान रामजी एवं हनुमानजी की अनुकृपा मिल जाती हैं। बुरी शक्तियों एवं बुरे विचार से मुक्ति मिल जाती हैं।


◆मोक्षगति को प्राप्त करने हेतु:-जन्म-मरण के बन्धन से छुटकारा मिल जाता हैं, मनुष्य को मोक्षगति मिल जाती हैं।


◆शारीरिक कष्टों से मुक्ति:-शरीर में उत्पन्न कष्टों से मुक्ति दिलवाने में सहायक होता हैं।


◆अकाल मृत्यु पर विजय पाने हेतु:-मनुष्य के द्वारा भगवान रामजी का गुणगान करने वाले मनुष्य पर यमराज की एक भी नहीं चलती हैं और अकाल मृत्यु से रक्षा हनुमानजी करते हैं।


◆समस्त मनोकामना पूर्ति हेतु:-मनुष्य के द्वारा स्तोत्रं के वांचन करने पर समस्त दिल की चाहत पूर्ण हनुमानजी एवं भगवान रामजी कर देते हैं।


◆व्याधियों से मुक्ति:-शरीर में होने वाले रोगों से राहत देकर मनुष्य के शरीर में उत्साह की उत्पत्ति करके स्वास्थ्य को ठीक रखते हैं।



 



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