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Wednesday 27 April 2022

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रं(Shri Kashi Vishwanath Mangal Stotram)

Shri Kashi Vishwanath Mangal Stotram




श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रं(Shri Kashi Vishwanath Mangal Stotram):-श्रीकाशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रं की श्रीस्वामी महेश्वरानन्दजी  रचना की हैं, जो कि एक अद्भुत स्तोत्रम् हैं, यह स्तोत्रम् संस्कृत भाषा में लिखा गया हैं, इस स्तोत्रम् के श्लोकों को ग्यारहा माला के रूप में तैयार किया हैं। जो कि भगवान शिवजी के स्वरूप में काशी में स्थित श्रीविश्वनाथजी को शिवजी के रूप में गुणगान करने के लिए बनाया गया हैं। भगवान शिवजी के अनेक नाम हैं, उन नामों में से एक नाम श्रीकाशी विश्वनाथ भी हैं। जो मनुष्य शिवजी को अपनी पूजा-अर्चना से खुश करना चाहते है तो उनको इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए, जिससे उनके एक स्वरूप में शिवजी का गुणगान हो जावे और शिवजी का आशीर्वाद मिल जावे। भगवान शिवजी के रूप में श्री काशी में स्थित विश्वनाथ जी के सम्मुख शिवजी के शिवलिंग के सामने बैठकर इस स्तोत्रम् का वांचन करने से निश्चित रूप भगवान की अनुकृपा प्राप्त हो जाती हैं।



अथ श्रीकाशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रं:-श्रीकाशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम् के श्लोकों का ध्यान पूर्वक उच्चारण करना चाहिए, जिससे उच्चारण में किसी भी तरह की त्रुटि नहीं रह पावे और सही उच्चारण से मनुष्य को बढ़िया फल मिल सके।

 

गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी 

रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम।

भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या 

दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये।।१।।


काशीश्वरं सकलभक्तजनातिहारं 

विश्वेश्वरं प्रणतपालनभव्यभारम्।

रामेश्वरं विजयदानविधानधीरं 

गौरीश्वरं वरदहस्तधरं नमामः।।२।।


गङ्घोत्तमाङ्ककलितं ललितं विशालं

तं मङ्गलं गरलनीलगलं ललामम्।

श्रीमुण्डमाल्यवलयोज्ज्वलमञ्जुलीलं

लक्ष्मीशवरार्चितपदाम्बुजमाभजामः।।३।।


दारीव्र्यदुःखदहनं कमनं सुराणां 

दीनार्तिदावदहनं दमनं रिपूणाम्।

दानं श्रियां प्रणमनं भुवनाधिपानां 

मानं सतां वृषभवाहनमानमामः।।४।।


श्रीकृष्णचन्द्रशरणं रमणं भवान्याः 

शशवत्प्रपन्नभरणं धरणं धरायाः।

संसारभारहरणं करुणं वरेण्यं 

संतापतापकरणं करवै शरण्यम्।।५।।


चण्डीपिचण्डिलवितुण्डधृताभिषेकं

श्रीकार्तिकेयक्लनृत्यकलावलोकम्।

नन्दीशवरास्यवरवाद्यमहोत्सवाढ्यं

सोल्लासहासगिरिजं गिरीशं तमीडे।।६।।


श्रीमोहिनीनिविडरागभरोपगूढ़ं 

योगेश्वरेशवरहदम्बुजवासरासम्।

सम्मोहनं गिरिसुताञ्चितचंद्रचूडं 

श्रीविश्वनाथमधिनाथमुपैमि नित्यम्।।७।।


आपद् विनश्यति समृध्यति सर्वसम्पद् 

विघ्नाः प्रयान्ति विलयं शुभम्भ्युदेति।

योग्याङ्गनाप्तिरतुलोत्तमपुत्रलाभो 

विश्वेश्वरस्त्वमिमं पठतो जनस्य।।८।।


वन्दी विमुक्तिमधिगच्छति तूर्णमेति 

स्वास्थ्यं रुजार्दित उपैति गृहन प्रवासी।

विद्यायशोविजय इष्टसमस्तलाभः 

सम्पद्यतेSस्य पठनात् स्तवनस्य सर्वम्।।९।।


कन्या वरं सुलभते पठनादमुष्य 

स्तोत्रस्य धान्यधनवृद्धिसुखं समिच्छन्।

किं च प्रसीदति विभुः परमो दयालुः 

श्रीविश्वनाथ इह सम्भजतोSस्य साम्बः।।१०।।


काशीपीठाधिनाथेन शङ्कराचार्यभिक्षुणा।

महेश्वरेण ग्रथिता स्तोत्रमाला शिवारपीता।।११।।


।।इति श्रीकाशी पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य श्रीस्वामिमहेश्वरानन्द सरस्वती विरचितं श्रीविश्वनाथ मङ्गलस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।


श्रीकाशी विश्वनाथ मङ्गल स्तोत्रम् के वांचन से मिलने वाले लाभ (Benefits of reading Srikashi Vishwanath Mangal Stotram):-मनुष्य को श्रीकाशी विश्वनाथ मङ्गल स्तोत्रम् का वांचन करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-

◆शादी में देरी या शादी का नहीं हो पाने पर:-शादी नहीं हो पाती है या शादी में देरी हो रही है उन लड़कियों को श्रीकाशीविश्वनाथ के स्तोत्रं के श्लोकों का वांचन करने से निश्चित रूप शादी हो जाती हैं।


◆सुयोग्य एवं मन की इच्छानुसार पति पाने हेतु:-जिन लड़कियों को अपने रूप-यौवन के अनुसार सुंदर एवं सुयोग्य पति की चाहत होती हैं, उन लड़कियों को नियमित रूप से इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए।

◆धन-संपत्ति की प्राप्ति हेतु:-मनुष्य को मेहनत करने पर भी धन-संपत्ति से सम्बंधित परेशानी होने पर इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए, जो हमेशा इस स्तोत्रम् का वांचन करते हैं उन मनुष्य को अपने जीवनकाल में किसी के भी आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती हैं और धन-समृद्धि का भंडार भर जाता हैं।

◆मन की समस्त इच्छाओं को पूरा करने हेतु:-मनुष्य की अनेक तरह की ख्वाहिशे होती हैं, उन ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए रात-दिन एक कर देते हैं, लेकिन उन मनुष्य की ख्वाहिशे पूर्ण नहीं हो पाती हैं, उन मनुष्य को इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए।

◆जीवन की समस्त बाधाओं से मुक्ति पाने हेतु:-मनुष्य को अपने जीवनकाल में आने वाली बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए इस स्तोत्रम् का पाठन करना चाहिए।

◆समस्त तरह के सांसारिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं को पाने हेतु:-मनुष्य को अपने जीवनकाल में बहुत सारी भौतिक एवं सांसारिक सुख-सुविधाओं की जरूरत पड़ती हैं, उन समस्त सुख-सुविधाओं को पाने का एकमात्र उपाय श्रीकाशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम् है, इसके श्लोकों के वांचन से सुख-सुविधाओं की प्राप्ति हो जाती हैं।

◆सुशील व गुणगान भार्या की प्राप्ति हेतु:-मनुष्य अपनी दाम्पत्य जीवन के लिए सुशील एवं गुणवान भार्या की चाहत रखते हैं, उन मनुष्य को इस चाहत को पूरा करने के इस स्तोत्रम् का वांचन हमेशा करना चाहिए।

◆गुणवान वत्स सन्तान की प्राप्ति हेतु:-मनुष्य को गुणवान वत्स सन्तान को पाने हेतु इस स्तोत्रम् का पाठन करना चाहिए।

◆बन्धन में फंसे होने पर मुक्ति हेतु:-मनुष्य पर दूसरे मनुष्य के द्वारा जलन वश गलत कामों से मनुष्य को बन्धन में फंसा देते हैं, उन बन्धन से मुक्ति पाने हेतु इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए।

◆व्याधियों से मुक्ति हेतु:-मनुष्य अपने जीवनकाल में अनेक तरह की व्याधियों से घिरा रहता हैं, उन व्याधियों से बचने के लिए एवं निरोग्यता को पाने के लिए मनुष्य को श्रीकाशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम् का वांचन करते रहना चाहिए।

◆दूसरे देश में गए हुए परिजन को वापस अपने देश बुलाने के लिए:-इस स्तोत्रम् का वांचन करने से निश्चित रूप से दूसरे देश में गए मनुष्य वापस आ जाते हैं।

◆छात्रवृत्तिधारी की यादास्त शक्ति बढ़ाने हेतु:-छात्रवृत्तिधारी की यादाश्त शक्ति कमजोर होती हैं और पढ़ने में रुचि नहीं होने वालों को नियमित रूप से इस स्तोत्रम् का वांचन करने से निश्चित रूप से यादाश्त शक्ति बढ़ जाती है और उच्च विद्या को प्राप्त करते हैं। 

 

◆सभी तरह की मन की इच्छाओं को पूरा करने एवं सभी जगह पर जीत पाने हेतु:-मनुष्य को अपने मन की कामनाओं को पूरा करने एवं सभी जगह पर अपनी कामयाबी पाने हेतु इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए।




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