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Tuesday 16 November 2021

काली ध्यानम् मंत्र(Kali Dhyanam Mantra)





काली ध्यानम् मंत्र(Kali Dhyanam Mantra):-काली माता को समस्त तरह की नकारात्मक शक्तियों एवं तांत्रिक क्रियाओं की देवी माना जाता हैं। माता काली जिस तरह से दुष्टों का संहार करती हैं, उसी तरह से अपने भक्तों पर अपनी छत्रछाया भी रखती हैं। माता काली सृष्टि की रचना, पालन-पोषण एवं संहार करने वाली होती हैं। जिन मनुष्यों को माता काली का आशीर्वाद प्राप्त करना होता हैं, वे मनुष्य माता काली की आराधना एवं पूजा करते हैं, जिससे माता की अनुकृपा मिल सके। इसलिए माता काली का ध्यानम् मन्त्र का पाठ करना चाहिए। जो मनुष्य नियमित रूप से माता काली के ध्यानम् मन्त्र को दोहराते हैं, उन मनुष्यों को किसी भी तरह के भूत-पिशाच, बुरी ताकतों एवं नकारात्मक तत्वों का किसी भी तरह से असर नहीं होता हैं। इसलिए काली ध्यानम् मन्त्र का पाठ करते रहना चाहिए।




       ।।अथ श्री काली ध्यानम् मंत्र।।


सद्यश्छिन्नशिरः कृपाणमभयं हस्तैर्वरं बिभ्रतीं

घोरास्यां शिरसां स्त्रजा सुरुचिरामुन्मुक्तकेशावलीम्।

सृक्कासृत्प्रवहां श्मशाननिलयां श्रुतयोः शवालङ्कृतिं

श्यामाङ्गीं कृतमेखलां शवकरैर्देवीन भजे कलिकाम्।।1।।


शिवारुढ़ां महाभीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम्।

चतुर्भुजां खड्गमुण्डवराभयकरांशिवाम्।।2।।


मुण्डमालाधरां देवीं ललजजिह्वां दिगम्बराम्।

सदा सञ्चिन्तये  कालीं श्मशानालयवासिनीम्।।3।।


नमामि दक्षिणामूर्तिं कालिकां परभैरवीम्।

भिन्नाञ्जनचयप्रख्यां प्रवीरशवसंस्थिताम्।।4।।


गलच्छोणितधाराभिः स्मेराननसरोरुहाम्।

पीनोन्नतकुचद्वन्द्वां पीनवक्षोनितम्बिनीम्।।5।।


दक्षिणां मुक्तकेशालीं दिगम्बरविनोदिनीम्।

महाकालशवाविष्टां स्मेराम्बरपरिस्थिताम्।।6।।


मुखसान्द्रस्मितामोदमोदिनीं मदविह्वलाम्।

आरक्तमुखसान्द्राभिः नेत्रालीभिर्विराजिताम्।।7।।


शवद्वयकृतोत्तंसांसिन्दूरतिलकोज्ज्वलाम्।

पञ्चाशन्मुण्डघटितमालाशोणितलोहिताम्।।8।।


नानााामणिविशोभाढ्यनानालङ्कारशोभिताम्।

शवास्थिकृतकेयूरशङ्खकङ्कणमणिडताम्।।9।।


शववक्षःसमारुढां लेलिहानां शवं क्वचित्।

शवमांसकृतग्रासां साट्टहांस मुहुर्मुहुः।।10।।


खड्गमुण्डधरां वामे सव्येSभयवरप्रदाम्।

दन्तुरां च महारौद्रीं चण्डनादातिभीषणाम्।।11।।


शिवाभिर्घोररूपाभिर्वेष्टितां भयनाशिनीम्।

"माभैर्माभैः" स्वभक्तेषु जल्पन्तीं घोरनिः स्वनैः।।12।।


यूयं किमिच्छत ब्रूत ददामीति प्रभाषिणीम्।

ध्यायामि तां महाकालीं सर्वोपद्रववारिणीम्।।13।।



        ।।इति श्रीकालीं ध्यानम् संपूर्णम्।।

      ।।जय बोलो महाकालीं माता की जय।।


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