ग्रहों की स्वराशियाँ :- भारतीय फ़लित ज्योतिष में द्वादश राशियों का स्वामित्व सूर्यादि सप्तग्रहों में से सूर्य एवं चन्द्रमा को एक-एक राशि का तथा पंचतारा ग्रहों (मंगल,बुध,गुरू, शुक्र,एवं शनि) को दो-दो राशियों को स्वामित्व प्रदान किया गया हैं। ग्रहों की स्वराशियाँ निम्नाकिंत हैं:
ग्रहों की स्वराशियाँ
ग्रह | स्वराशियाँ |
---|---|
सूर्य | सिंह |
चन्द्रमा | कर्क |
मंगल | मेष,वृश्चिक |
बुध | मिथुन, कन्या |
गुरु | धनु,मीन |
शुक्र | वृषभ,तुला |
शनि | मकर,कुम्भ |
ग्रहों की उच्च एवं नीच राशियाँ :- फलित ज्योतिष में ग्रहों की उच्च एवं नीचराशियाँ निम्नानुसार हैं
उच्च राशि :- जो स्थान(किसी ग्रह के लिए परिक्रमा पथ में)अपमण्डल से (अधिकतम)दूर स्थित होता है, इसलिए इसकी 'उच्च संज्ञा' दी गई है। वह (उच्च) प्रदेश भी गतिशील होता है अर्थात् बदलता रहता है।
ग्रहों की उच्च एवं नीच राशियाँ
ग्रह | उच्चराशि परमोच्चान्श | नीच राशि परम् नीचान्श |
---|---|---|
सूर्य | मेष (10°) | तुला (10°) |
चन्द्रमा | वृषभ (03°) | वृश्चिक(03°) |
मंगल | मकर(28°) | कर्क(28°) |
बुध | कन्या(15°) | मीन(15°) |
गुरु | कर्क(05°) | मकर(05°) |
शुक्र | मीन(27°) | कन्या(27°) |
शनि | तुला(20°) | मेष(20°) |
ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँ :- चन्द्रमा की मूल त्रिकोण राशि उसकी उच्चराशि वृषभ है,शेष छह ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँँ उनकी स्वराशियाँ है। सूर्य की मूल त्रिकोणराशि सिंह राशि है बुध की मूल त्रिकोणराशि कन्या राशि,शुक्र की मूलत्रिकोण राशि तुला राशि एवं शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ राशि है। मंगल की मूल त्रिकोण राशि मेष राशि एवं गुुरु की मूल त्रिकोण राशि धनु राशि है।
सूर्य, गुरु, शुक्र एवं शनि एवं अपनी मूल त्रिकोण राशियों में आरंभ के 20 अंश तक मूल त्रिकोण होते हैं उसके पश्चात वे स्वराशि में होते हैं।
राहु एवं केतु की स्वराशि, उच्चराशि, मूलत्रिकोण राशि एवं नीचराशि :- जो निम्नलिखित हैं
●राहु की स्वराशि कन्या, उच्चराशि मिथुन, मूलत्रिकोण राशि कुम्भ एवं नीचराशि धनु राशि हैं।
●केतु की स्वराशि मीन, उच्चराशि धनु,मूलत्रिकोण राशि सिंह एवं नीचराशि मिथुन राशि हैं।
सूर्यादि नवग्रहों स्वराशि, उच्चराशि,मूलत्रिकोण राशि परमोच्चांश
ग्रह | मूल त्रिकोण राशि | मूल त्रिकोण अंश | स्व- राशि अंश | उच्च राशि अंश |
---|---|---|---|---|
सूर्य | सिंह | 0°-20° | 20°-30° | --- |
चन्द्रमा | वृषभ | 3°-30° | --- | 0°-3° |
मंगल | मेष | 0°-12° | 12°-30° | --- |
बुध | कन्या | 15°-25° | 25°-30° | 0°-15° |
गुरु | धनु | 0°-20° | 20°-30° | --- |
शुक्र | तुला | 0°-20° | 20°-30° | --- |
शनि | कुम्भ | 0°-20° | 20°-30° | --- |
सूर्यादि नवग्रहों स्वराशि,उच्च
राशि,मूलत्रिकोणराशि,नीचराशि,परमोच्चांश केे एवं परम्
नीचांश
ग्रह | स्व राशि | उच्च राशि | परम् उच्च अंश | मूल त्रिकोण राशि | नीच राशि | परम् नीच राशि |
---|---|---|---|---|---|---|
सूर्य | सिंह (20°- 30°) | मेष | 0° 10° | सिंह (0°- 20° | तुला | 6-10° |
चन्द्रमा | कर्क | वृषभ 0°3° | 1° 3° | वृषभ 3° 30° | वृश्चिक | 7° 3° |
मंगल | मेष (12° 30°), वृश्चिक | मकर | 9 28 | मेष 0 12 | कर्क | 3 28 |
बुध | मिथुन ,कन्या 25 30 | कन्या 0 15 | 5 15 | कन्या 15 25 | मीन | 11 15 |
गुरु | धनु 20 30 मीन | कर्क | 3 5 | धनु | मकर | 9 5 |
शुक्र | वृषभ तुला 20 30 | मीन | 11 27 | तुला 0 20 | कन्या | 5 27 |
शनि | मकर कुम्भ 20 30 | तुला | 620 | कुम्भ 0 20 | मेष | 0 20 |
राहु | कन्या | मिथुन | कुम्भ | धनु | ||
केतू | मीन | धनु | सिंह | मिथुन |
स्व,उच्च,नीचादि में ग्रहों का शुभत्व एवं बल :- ग्रह राशि कुंडली अथवा अन्य वर्गों में जिस राशि में स्थित होते हैं, उसके आधार पर भी शुभत्व एवं बल प्राप्त करते हैं और उसके अनुसार शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं।
विभिन्न राशियों में ग्रहों का शुभत्व एवं बल निम्नांकितहैं:
स्व,उच्च,नीचादि में ग्रहों का शुभत्व एवं बल
राशि | बल |
---|---|
उच्चराशि | 100℅ |
मूलत्रिकोणराशि | 75℅ |
स्वराशि | 50℅ |
मित्रराशि | 25℅ |
अधिमित्रराशि | 75℅ |
समराशि | 12.5℅ |
शत्रुराशि | 6.25℅ |
अधिशत्रुराशि | 3.125℅ |
नीचराशि | 0℅ |
अशुभ फलों की दृष्टि से देखा जाए, तो नीच राशि में ग्रह अपने अशुभ फलों को पूर्णता से, शत्रु राशि में अशुभ फलों को कुछ कम, उच्च राशि में शून्य, मित्र राशि में75%,अपनी राशि में 50%, मूलत्रिकोण राशि 25%अशुभ फलप्रदान करता हैं
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