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Sunday 27 March 2022

मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् और लाभ(Mritsanjeevani Stotram and Benefits)

Mritsanjeevani Stotram and Benefits




मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् और लाभ(Mritsanjeevani Stotram and Benefits):-महर्षि वशिष्ठ के द्वारा मनुष्य की बिना उम्र पूर्ण होने पर भी मृत्यु होने की घटनाओं को देखने के बाद उन्होंने भगवान शंकर की कठोर तपस्या की थी, जिससे मनुष्य को अपने जीवन को पूर्ण आयु को जी सके। इस तरह भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर अपनी मधुर वाणी से इस स्तोत्रम् को महर्षि वशिष्ठ को बताया था। इस तरह वशिष्ठ ऋषिवर ने मनुष्य के जीवन को उम्र से पहले होने वाली मृत्यु से बचाने के लिए इस कवच की रचना की थी। 



मृतसञ्जीवनी स्तोत्रम्(Mritsanjeevani stotram):-मृत- सञ्जीवन स्तोत्रम् को तीस श्लोकों में वर्णित किया गया हैं, इसलिए मनुष्य को नियमित रूप से वांचन करना चाहिए, जो निम्नलिखित हैं-

 

एवमारध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयमेश्वरं।

मृतसञ्जीवनं नाम्ना प्रजपेत् सदा।।१।।




सारात् सारतरं पुण्यं गुह्याद्गुह्यतरं शुभं।

महादेवस्य कवचं मृतसञ्जीवनामकं।।२।।




समाहितमना भूत्वा शृणुष्व कवचं शुभं।

शृत्वैतद्दिव्य कवचं रहस्यं कुरु सर्वदा।।३।।




वराभयकरो यज्वा सर्वदेवनिषेवितः।

मृत्युञ्जयो महादेवः प्राच्यां मां पातु सर्वदा।।४।।




दधानम् शक्तिमभयां त्रिमुखं षड्भुजः प्रभुः।

सदाशिवोSग्निरूपी मामाग्नेय्यां विभुः।।५।।




अष्टदसभुजोपेतो दण्डाभयकरो विभुः।

यमरूपि महादेवो दक्षिणस्यां सदावतु।।६।।




खड्गाभयकरो धीरो रक्षोगणनिषेवितः।

रक्षोरूपी महेशो मां नैरृत्यां सर्वदावतु।।७।।




पाशाभयभुजः सर्वरत्नाकरनिषेवितः।

वरुणात्मा महादेवः पश्चिमे मां सदावतु।।८।।




गदाभयकरः प्राणनायकः सर्वदागतिः।

वायव्यां मारुतात्मा मां शङ्करः पातु सर्वदा।।९।।




शंङ्खाभयकरस्थो पातु मां नायकः परमेश्वरः।

सर्वात्मान्तरदिग्भागे पातु मां शङ्करः प्रभुः।।१०।।



शूलाभयकरः सर्वविधानमधिनायकः।

ईशानात्मा तथैशान्यां पातु मां परमेश्वरः।।११।।



ऊर्ध्वभागे ब्रःमरूपी विश्वात्माSधः सदावतु।

शिरो मे शङ्करः पातु ललाटं चन्द्रशेखरः।।१२।।



भूमध्यं सर्वलोकेशस्त्रिणेत्रो लोचनेSवतु।

भ्रूयुग्मं गिरीशं पातु कर्णौ पातु महेश्वरः।।१३।।



नासिकां मे महादेव ओष्ठौ पातु वृषध्वजः।

जिह्वां मे दक्षिणामूर्तिर्दन्तान्मे गिरिशोSवतु।।१४।।



मृतुय्ञ्थयो मुखं पातु कण्ठं मे नागभूषणः।

पिनाकि मत्करौ पातु त्रिशूलि हृदयं मम।।१५।।



पञ्चवक्त्रः स्तनौ पातु उदरं जगदीश्वरः।

नाभिं पातु विरुपाक्षः पार्श्वौ मे पार्वतीपतिः।।१६।।



कटद्वयं गिरीशौ मे पृष्ठं मे प्रमथाधिपः।

गृह्यं महेश्वरः पातु ममोरु पातु भैरवः।।१७।।



जानुनी मे जगद्दर्ता मे जगदम्बिका।

पादौ मे सततं पातु लोकवन्द्यः सदाशिवः।।१८।।



गिरिशः पातु मे भार्यां भवः पातु सुतान्मम।

मृतुय्ञ्जयो ममायुष्यं चित्तं मे गणनायकः।।१९।।



सर्वांङ्गं मे सदा पातु कालकालः सदाशिवः।

एतत्ते कवचं पुण्यं देवतानां च दुर्लभम्।।२०।।




मृतसञ्जीवनं नाम्ना महादेवेन कीर्तितम्।

सह्स्त्रावर्तनं चास्य पुरश्चरणमीरितम्।।२१।।



यः पठेच्छृणुयान्नित्यं श्रावयेत्सु समाहितः।

सकालमृत्युं निर्जित्य सदायुष्यं समश्नुते।।२२।।



हस्तेन वा यदा स्पृष्ट्वा मृतं सञ्जीवयत्यसौ।

आधयोव्याध्यस्तस्य न भवन्ति कदाचन।।२३।।



कालमृतुमपि प्राप्तमसौ जयति सर्वदा।

अणिमादिगुणैश्वर्यं लभते मानवोत्तमः।।२४।।



युद्दारम्भे पठित्वेदमष्टाविशतिवारकं।

युद्दमध्ये स्थितः शत्रुः सद्यः सर्वैर्न दृश्यते।।२५।।



न ब्रह्मादिनि चास्त्राणि क्षयं कुर्वन्ति तस्य वै।

विजयं लभते देवयुद्दमध्येSपि सर्वदा।।२६।।



प्रातरुत्थाय सततं यः पठेत्कवचं शुभं।

अक्षय्य लभते सौख्यमिह लोके परत्र च।।२७।।



सर्वव्याधिविनिर्मृक्तः सर्वरोगविवर्जितः।

अजरामरणो भूत्वा सदा षोडशवार्षिकः।।२८।।




विचरव्यखिलान् लोकान् प्राप्य भोगांश्च दुर्लभान्।

तस्मादिदं महागोप्यं कवचम् समुदाहृतम्।।२९।।



मृतसञ्जीवनं नाम्ना देवतैरपि दुर्लभम्।।३०।। 


।।इति वसिष्ठ कृत मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।


मृतसञ्जीवन स्तोत्रम् के लाभ(Benefits of Mrit sanjeevani Stotram):-मनुष्य को हमेशा मृतसञ्जीवन स्तोत्रं का पाठ करते रहने पर निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-

◆मनुष्य के बनते हुए कार्य नहीं बनने पर नियमित रूप से वांचन करने पर कार्य में सफलता मिलती हैं।



◆मनुष्य को दुर्घटना या बीमारी आदि में होने वाली असामयिक मृत्यु से बचने के रोजाना मृतसञ्जीवनं स्तोत्रं का वांचन करना चाहिए।



◆जो मनुष्य मृत्यु की कगार पर होता हैं, तो उस मनुष्य के जीवन में फिर प्राण के संचार के लिए मृतसञ्जीवनं स्तोत्रं के वांचन करने वाले मनुष्य के छूटे ही ठीक हो जाता हैं।



◆मनुष्य को अपने जीवनकाल में शारीरिक व मानसिक बीमारियों से मुक्ति के लिए मृतसञ्जीवनं स्तोत्रं का वांचन करते रहना चाहिए।


◆मनुष्य को दैवीय अनुकृपा पाने में सहायक होता हैं।



◆मनुष्य को अपने दुश्मनों की गतिविधियों की जानकारी प्रदान करके उनके ऊपर विजय प्रदान करवाता हैं।



◆मनुष्य को अपने इष्टदेव की अनुकृपा प्रदान करवाने में सहायक होता हैं और जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति प्रदान करवाता हैं।



◆मनुष्य को अजर-अमर की प्राप्ति में यह स्तोत्रम् सहायक होता हैं।◆मनुष्य को अपने जीवनकाल में सभी सुख-समृद्धि की प्राप्ति यह स्तोत्रम् करवाता हैं।





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