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Saturday 5 June 2021

भोजन करने की सही दिशा को वास्तु शास्त्र से जानें (know the right direction of eating from vastu shastra)



भोजन करने की सही दिशा को वास्तु शास्त्र से जानें (know the right direction of eating from vastu shastra):-

दिशाओं का मनुष्य को अपने भोजन करते विशेष ध्यान रखना चाहिए, जो मनुष्य दिशाओं के अनुरूप भोजन करते हैं। उनका जीवन खुशहाली से भरा रहता है और जो मनुष्य बिना दिशाओं का ख्याल रखे ही भोजन करते है उनको अपने जीवन में बहुत ही कष्टों का सामना करना पड़ता है, दिशाओं का भी आधार होता है जो कि ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है गलत दिशा में भोजन करने से उस दिशा के सम्बन्धित ग्रह को बल मिलता है और वह ग्रह अपने जीवन में परेशानी पैदा करता है। इसलिए दिशाओं के अनुरूप जो नियम वास्तु शास्त्र और अपने धर्म ग्रन्थों में बताए गए है उनका पालन करते हुए ही भोजन करना चाहिए। दिशाओं का मनुष्य के जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है, सही चलने वाले जहाज, वाहन अपनी मंजिल तक पहुंचते है, जबकि गलत दिशा में चलने वाले जहाज व वाहन समय का बिना मतलब बेकार करने के साथ ही अपनी मंजिल को भी गुमा बैठते है तथा बिना जरूरत के कष्ट एवं कठिनाइयों को भी झेलते है। लेकिन यह बात जुदा तरह की है,की होशियार मनुष्य परिस्थितियों को जानकर दिशाओं का बदलाव करके अपना अभीष्ट को प्राप्त कर लेते है और जीवन भर खुशहाली से रहते है।

मनुष्य जीवन में अनेक तरह के कष्ट और कठिनाइयां केवल दिशाओं के गलत उपयोग के कारण ही आती हैं। मात्र दिशाओं में थोड़ा बदलाव करके जीवन में सुख-शांति,विकास, इच्छा पूर्ति आदि को पाया जा सकता है।

भोजन के विषय में शास्त्रों की बातें:-शास्त्रों में भोजन के विषय में साफतौर पर निर्देश बताया है कि किस कामना वाला मनुष्य किस दिशा की ओर मुख करके भोजन करें?

भोजन करते समय मुख को पूर्व दिशा की ओर रखने का नतीजा:-शास्त्र के मतानुसार जिन मनुष्य को अपनी उम्र की बढ़ोतरी करनी है और जिनको अपने शरीर में कोई भी तरह की बीमारी को नहीं रखना चाहते है,उन मनुष्य को सदैव पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन को करना चाहिए।

यदि रोगी मनुष्य को पूर्व दिशा की ओर मुख कराकर पथ्य भोजन दिया जाये तो उनके रोग में जल्दी सुधार होता है और जल्दी ही रोग से मुक्त होते है।


भोजन करते समय मुख को दक्षिण दिशा की ओर रखने का नतीजा:-शास्त्रानुसार जिनको यश प्राप्ति की चाह रखने वाले मनुष्यों को दक्षिण दिशा की ओर मुख रखकर भोजन को करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करने से मनुष्य को मान-सम्मान की असाधारण बढ़ोतरी होती है।

◆लेकिन जिन मनुष्यों के माता-पिता जीवित होते है,उन मनुष्यों को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके आहार को नहीं लेना चाहिए।

◆जीवित माता-पिता वाले मनुष्यों को पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके ही भोजन को करना चाहिए जिससे उनके स्वास्थ्य में बढ़ोतरी हुवे।


भोजन करते समय मुख को नैऋत्य कोण की दिशा की ओर रखने का नतीजा:-नैऋत्य कोण की दिशा की ओर मुख को रखकर भोजन करने वाले मनुष्य की पाचन शक्ति कमजोर होती है तथा पेट की अनेक बीमारियां हो सकती है।


भोजन करते समय मुख को आग्नेय कोण की दिशा की ओर रखने का नतीजा:-जो मनुष्य अपने मुख को आग्नेय कोण की दिशा में रखकर भोजन करते है उनको सेक्सगत अनेक तरह की गुप्त बीमारियां हो सकती है तथा स्वप्नदोष,प्रमेह,ल्यूकोरिया, प्रदररोग आदि में बढ़ोतरी हो सकती है।


भोजन करते समय मुख को वायव्य कोण की दिशा की ओर रखने का नतीजा:-जो वायव्य कोण की दिशा की ओर बैठकर करके भोजन करते है उनको वायु विकार दोष उत्पन्न हो सकते है।


भोजन करते समय मुख को पश्चिम दिशा की ओर रखने का नतीजा:-जिन मनुष्य की आर्थिक हालात कमजोर हो और अधिक धन की प्राप्ति की चाह हो तो पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन को ग्रहण करना चाहिए।

पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य की आर्थिक हालात ठीक हो जाते है और लेकिन आर्थिक हालात की बढ़ोतरी धीरे-धीरे ही होती है।

भोजन करते समय मुख को उत्तर दिशा की ओर रखने का नतीजा:-जो मनुष्य अपना मुख उत्तर दिशा की ओर रखकर भोजन को ग्रहण करते है उनको रुपयों-पैसों का नुकसान भुगतना पड़ता है।

ऋषियों ने साफतौर पर बताया है कि जो मनुष्य उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन के रूप में अपने लिए ऋण को बढ़ाने का भोजन ग्रहण करता है। जिससे वह मनुष्य दिन-प्रतिदिन ऋणी होता चला जाता है।


भोजन करने के नियम:-हमारे  ऋषियों-मुनियों ने जो नियम पुराने जमाने मे बनाये थे वे सभी नियम जीवन में भोजन करते समय अपनाने पर मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा और जीवन में धन-संपत्ति से युक्त होकर मनुष्य अपना जीवन सुख-शांति जीता है।

◆मनुष्य को भोजन करने से पूर्व हाथ-पैरों को धोककर ही करना चाहिए।

◆भोजन करते समय हमेशा पालथी मारकर आसन पर बैठकर ही करना चाहिए।

◆मनुष्य को कुर्सी पर बैठकर टांग हिलाते हुए भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

◆मनुष्य को भोजन करते समय बातचीत भी नहीं करनी चाहिए।

◆मनुष्य को भोजन करते समय एकाग्रचित होकर ही करना चाहिए।

◆मनुष्य को भोजन का प्रत्येक ग्रास को अपने दांतो से चबा-चबाकर ही ग्रहण करना चाहिए।

◆मनुष्य को अपने इष्ट देव को याद करते हुए भोजन को ग्रहण करना चाहिए।

◆मनुष्य को भोजन की थाली में से चार ग्रास अलग-अलग निकाल लेना चाहिए।

◆मनुष्य को भोजन इतना ही करना चाहिए जितना वह पचा सके।

◆मनुष्य को अपने पेट में दो भाग ही भोजन को ग्रहण करना चाहिए,तीसरा भाग जल के लिए और चौथा भाग हवा के लिए खाली रखना जरूरी होता है।

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