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Friday 31 December 2021

प्रेम विवाह योग जन्मकुंडली में कैसे बनता हैं(How love marriage yoga is formed in horoscope)







प्रेम विवाह योग जन्मकुंडली में कैसे बनता हैं(How love marriage yoga is formed in horoscope):-प्राचीन काल में प्यार या प्रेम विवाह का प्रचलन था। आधुनिक युग में प्रेम विवाह का प्रचलन ज्यादा बढ़ गया है।  जब लड़का या लड़की की एक-दूसरे की आंखे चार होती है, वही से उनका प्यार शुरू ही जाता हैं। एक-दूसरे की अपना दिल दे बैठते हैं। फिर थोड़े समय के बाद विवाह करने के लिए राजी होते है।इनके अलावा भी शादीशुदा पुरुष या औरतें या कम उम्र वाले पुरुष या औरतो में आज के युग में एक-दूसरे को दिल दे बैठते हैं। इसलिए एक-दूसरे के प्यार में सफलता मिलेगी या नहीं मिलेगी इनकी जानकारी ज्योतिष शास्त्र में बताई गई है तथा ज्योतिष योग बताये ।


ज्योतिष शास्त्र में यह विचारधारा है कि लड़की और लड़के में प्यार की भवना उन दोनों की जन्मकुंडलीयों में ग्रहों कर परस्पर सम्बन्धी के आधार पर होता हैं। ग्रहों के परस्पर सम्बन्ध ही उनके पवित्र प्यार में वासना देता है, उनका विवाह करते है और विवाह की राह में  रुकावट बनकर खड़े हो जाते है। उनके बीच मे लड़ाई-झगड़े और तलाक करवाने में सहायक होते हैं।


लड़के व लड़की में प्यार का आकर्षण के बारे में जानने के वास्ते पाचवें घर व पंचमेश तथा सातवाँ घर व सप्तमेश के बीच सम्बन्ध को जानना चाहिए। इस सम्बंध को जानने के लिए पाचवें घर व पंचमेश तथा सातवाँ घर व सप्तमेश के बीच सयोंग में दोनों की युति,परस्पर दृष्टि या पारस्परिक राशि परिवर्तन होने की जरूरत होती हैं।


●जन्मपत्रिका में  पाँचवे घर या भाव से किसी भी लड़के या लड़की के मन की आवृत्ति व संकल्प शक्ति,इच्छा शक्ति, दोस्ती, हिम्मत, भावना के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं।


●पांचवे घर का सातवे घर या पंचमेश या सप्तमेश राहु या केतु से युक्त या देखे।


●पंचमेश की उच्च राशि मे राहु या केतु होने पर। 


●सातवें भाव या घर से विवाह,पति-पत्नी के सयोंग तथा वैवाहिक जीवन के सुख के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं।


●सप्तम घर में शनि व केतु होने पर।


●नवम घर या भाव से प्रेम विवाह एक ही जाती या दूसरी जाति या एक ही धर्म मे होगा या दूसरे धर्म में होगा इसके बारे में जानकारी प्राप्त होती है।


●ग्यारहवा घर या भाव से एक-दूसरे की रजामंदी से पूर्ति के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं।


●दूसरे घर या भाव से परिवार का कितना सुख मिलेगा इसके बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं।


●प्यार(प्रेम) विवाह के लिए आदमी के वास्ते शुक्र ग्रह और औरत के वास्ते मंगल ग्रह का बहुत ही प्रभाव करने वाले होते है। 


●शुक्र ग्रह विवाह और आकर्षित करने वाले का कारक ग्रह है, इससे सुंदरता,अच्छी मन की सोच एवं भोग-विलासिता के बारे में जानकारी देता हैं। 


●पांचवे घर या भाव का शुक्र पुरुष को अच्छी कोमल अनुभूतियों की तरफ खिंचता हैं।


●मंगल ताकत एवं पराक्रम का प्रतीक है। जन्मपत्रिका में मंगल जितना अच्छा होगा उतना ही लड़के या लड़की को साहसी और धीरज वाला बनाता है


●मंगल का पाचवें घर या भाव पर जितना अधिक प्रभाव होगा जातक या जातिका एक दूसरे को अपनी मन की बात कहने हीचकीचाट नहीं होकर एक दूसरे को मन की बात अच्छी तरह से कहने में सफल होंगे।


●यदि तीसरे घर या भाव व मंगल दोंनो कमजोर होने पर लड़का या लड़की अपने मन के विचार को एक-दूसरे को बताने में हिचकिचाहट रहती है और मनं की बात मन के अंदर दबी या शंका रह जाएगी। तो भी प्रेम विवाह करता है।


●मन का कारक चन्द्रमा ग्रह होने से :-जातक या जातिका की जन्मकुंडली में चन्द्रमा की स्थिति, युति,दृष्टि आदि का भी जातक या जातिका के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।


●यदि लग्न,पंचम,सप्तम एवं नवम भाव या घर का सम्बंध मंगल,शुक्र,चन्द्रमा और लग्नेश से होंने पर जातक या जातिका प्यार की ओर आकर्षण होगा।


●यदि नवम भाव या घर ,नवमेश व गुरु दूषित होने जातक या जातिका का दूसरे धर्म वाले या दूसरे जाती वाले से प्यार की सम्भावना बनेगी।


●लग्नेश-पंचमेश अथवा लग्नेश-नवमेश परस्पर युत हो या एक-दूसरे को देखते हो और उनमें राशि का परिवर्तन हो।


●द्वादश भाव भोग और आकर्षण का भाव भी मन गया है, इसलिए लड़की या लड़के की जन्मकुंडली में मंगल का सम्बंध शनि या राहु से होने पर लड़का या लड़की एक दूसरे से प्यार की तरफ आकर्षित होने से नही रोक पाने वाले होंगे।


●यदि शनि का प्रभाव सप्तम या सप्तमेश से होने पर लड़का या लड़की अपने जान-पहचान वाले से प्रेम विवाह करने वाले होते है।


◆यदि शनि का प्रभाव मंगल और सप्तमेश पर होने से भी लड़का या लड़की अपने जान-पहचान वाले के प्यार में पड़कर प्रेम विवाह करता है।


●यदि राहु का प्रभाव मंगल पर होने पर लड़के या लड़की का बहुत जनों से सम्बन्ध बनता हैं।


●यदि सप्तम घर या भाव, सप्तमेश या मंगल का दूसरे घर या भाव से सम्बन्ध होने पर जातक या जातिका का विवाह परिवार के किसी सम्बन्धी से ही होता हैं।


●यदि चन्द्रमा से सप्तमेश या दूसरे घर व मंगल से सम्बन्ध बनने पर जातक या जातिका का अपने मौसी या मामा के लड़के या लड़की से प्यार का सम्बंध बनता हैं।


●यदि शुक्र से राहु व शनि का सम्बन्ध बनने पर जातक या जातिका का प्यार का सम्बन्ध कामवासना वाला होता हैं।


●यदि शनि का सम्बन्ध सप्तमेश से होने पर प्रेम विवाह में रुकावट आती है।


●यदि शनि से शुक्र का सम्बन्ध होने पर जातक या जातिका का अनेक आदमियों या स्त्रियों से प्यार का सम्बन्ध बनता है। ये सम्बन्ध लम्बे समय तक नहीं चलता है।


●यदि राहु से शुक्र का सम्बन्ध हो,तो प्रेम विवाह होकर रहता है।


●यदि शनि का बुरा या दूषित प्रभाव लग्न या लग्नेश, सप्तम या सप्तमेश, शुक्र, सूर्य या चन्द्रमा हो, तो जातक या जातिका विवाह या तो देर से होता है या होता ही नहीं। 

इस प्रकार से सिद्ध होता है कि पंचम, सप्तम व नवम घर या भाव तथा भावेश का सम्बन्ध जातक या जातिका में प्यार के प्रति आकर्षण देता है। 


कोई भी लड़का किस लड़की से प्यार करेगा जानने के लिए:- जन्मकुंडली में निम्नलिखित बातों का विचार करना चाहिए:


1.जन्मपत्रिका का सप्तमेश जिस राशि मे स्थित रहता है वह राशि यदि लड़की की जन्मराशि हो।


2.सप्तमेश की उच्च या नीच राशि लड़की जन्म राशि या त्रिकोण राशि हो।


3.नवांश कुण्डली में सप्तमेश जिस राशि मे स्थित होता है वही राशिं लड़की की जन्मराशि हो।


4.लड़के की जन्मराशि में या लग्न में लड़की का सप्तम स्थित हो।


5.लड़के के सप्तमेश की उच्च या नीच राशि में लड़की का सप्तमेश स्थित हो।


6.लड़की की जन्मकुंडली में सप्तमेश की उच्च या नीच राशि में लड़के का सप्तमेश स्थित हो।


7.लग्नेश,चन्द्रमा व सूर्य की स्थिति दोनों की जन्मकुंडलीयों में समान हो।


8.दोनों की जन्मकुंडलीयों में गुरु एक-दूसरे के केंद्र या त्रिकोण में हो। 


●यदि चन्द्रमा से सप्तमेश या दूसरे घर व मंगल से सम्बन्ध बनने पर जातक या जातिका का अपने मौसी या मामा के लड़के या लड़की से प्यार का सम्बंध बनता हैं।


●यदि शुक्र से राहु व शनि का सम्बन्ध बनने पर जातक या जातिका का प्यार का सम्बन्ध कामवासना वाला होता हैं।


●यदि शनि का सम्बन्ध सप्तमेश से होने पर प्रेम विवाह में रुकावट आती है।


●यदि शनि से शुक्र का सम्बन्ध होने पर जातक या जातिका का अनेक आदमियों या स्त्रियों से प्यार का सम्बन्ध बनता है। ये सम्बन्ध लम्बे समय तक नहीं चलता है।


●यदि राहु से शुक्र का सम्बन्ध हो,तो प्रेम विवाह होकर रहता है।


●यदि शनि का बुरा या दूषित प्रभाव लग्न या लग्नेश, सप्तम या सप्तमेश, शुक्र, सूर्य या चन्द्रमा हो, तो जातक या जातिका विवाह या तो देर से होता है या होता ही नहीं। 

इस प्रकार से सिद्ध होता है कि पंचम, सप्तम व नवम घर या भाव तथा भावेश का सम्बन्ध जातक या जातिका में प्यार के प्रति आकर्षण देता है। 


कोई भी लड़का किस लड़की से प्यार करेगा जानने के लिए:- जन्मकुंडली में निम्नलिखित बातों का विचार करना चाहिए:


1.जन्मपत्रिका का सप्तमेश जिस राशि मे स्थित रहता है वह राशि यदि लड़की की जन्मराशि हो।


2.सप्तमेश की उच्च या नीच राशि लड़की जन्म राशि या त्रिकोण राशि हो।


3.नवांश कुण्डली में सप्तमेश जिस राशि मे स्थित होता है वही राशिं लड़की की जन्मराशि हो।


4.लड़के की जन्मराशि में या लग्न में लड़की का सप्तम स्थित हो।


5.लड़के के सप्तमेश की उच्च या नीच राशि में लड़की का सप्तमेश स्थित हो।


6.लड़की की जन्मकुंडली में सप्तमेश की उच्च या नीच राशि में लड़के का सप्तमेश स्थित हो।


7.लग्नेश,चन्द्रमा व सूर्य की स्थिति दोनों की जन्मकुंडलीयों में समान हो।


8.दोनों की जन्मकुंडलीयों में गुरु एक-दूसरे के केंद्र या त्रिकोण में हो।

 

9.लड़के की जन्मकुंडली के पंचमेश व लड़की की जन्मकुंडली के एकादशेश में एक-दूसरे के सम्बंध हो।


10.लड़के की जन्मकुंडली के शुक्र व लड़की की जन्मकुंडली के मंगल या लड़के की जन्मकुंडली के मंगल और लड़की की जन्मकुंडली के शुक्र में सम्बन्ध हो।


11.राहु दोनों की जन्मकुंडली में केंद्र या त्रिकोण का सम्बन्ध जोड़े।



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