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Monday 4 October 2021

सूर्य एवं चन्द्रमा से बनने वाले योग का द्वादश भावों में फल(The results of the yoga formed by the Sun-Moon in the twelfth house)




सूर्य एवं चन्द्रमा से बनने वाले योग का द्वादश भावों में फल(The results of the yoga formed by the Sun-Moon in the twelfth house):-सूर्य को नवग्रहों में मुख्य स्थान मिला है, क्योकि समस्त तीनों लोकों में अपने प्रकाश से उजाला फैलाते है, ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को आत्मा के रूप में माना गया है। इस तरह समस्त पर उच्च पद मिला है, जो समस्त ग्रहों पर अपना स्वामित्व रखते हैं।

चन्द्रमा को भी ग्रह में चित्त के रूप में जगह मिली है, इस तरह जब चित्त एवं आत्मा मिलकर ही समस्त जगत का संचालन कर सकती है। आत्मा के बिना चित्त का कोई स्थान नहीं होता हैं।


ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह एवं चन्द्रमा ग्रह का मिलन एक भाव में होना ठीक नहीं बताया गया है, क्योकि सूर्य ग्रह के पास में जब कोई ग्रह जाता है तब उसके प्रभाव में कमी आ जाती है और अपना पूर्ण फल नहीं दे पाता है। जब चन्द्रमा ग्रह सूर्य ग्रह के साथ जन्मकुंडली के किसी भाव में एक साथ बैठते है तो चन्द्रमा ग्रह जो कि मन का कारक होता है तो उस पर सूर्य ग्रह अर्थात् आत्मा का कारक होता है जिससे मन को किसी भी तरह के निर्णय नहीं लेने देता है और अपने अनुसार ही उसको चलाने लगता है और चन्द्रमा अपना अच्छा फल नहीं दे पाता है। 

सूर्य एवं चन्द्रमा से बनने योग जो कि मनुष्य के जीवन पर एक तरह ग्रहण की तरह होता है,क्योंकि मनुष्य के मन पर आत्मा का असर होने सोचने-समझने पर होता है, जिससे मन पर आत्मा के प्रभाव से मन किसी भी तरह से सही-गलत का निर्णय लेने में असमर्थ हो जाता है, जो कि जन्मकुंडली के बारह भावों पर एक साथ बैठने पर विभिन्न भावों पर अलग-अलग तरह से असर डालता हैं।




द्वादश भाव में सूर्य-चन्द्रमा से बनने वाले योग के परिणाम:-सूर्य एवं चन्द्रमा का जब एक भाव में एक साथ बैठने पर उनके प्रभाव द्वादश भावों पर पड़ते है, जिनका फल इस तरह हैं:


1.पहले घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब पहले घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका यांत्रिक मशीनरी से सम्बंधित कार्य करने वाले और शिल्पकार होते हैं, स्त्रियों के वश में रहने वाले, नम्रता से हीन, कूटनीति को जानने वाले, धनी, विकलांग, धन से हीन, पर पुरुष या पर स्त्री में डूबे रहने वाले, अपने पर किये गए उपकार को नहीं मानने वाले एवं रोगों से पीड़ित होते हैं।



2.दूसरे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब दूसरे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका धनहीन,दूसरों पर आश्रित रहने वाले, कृतघ्न, चरित्रहीन, कान्ति के हीन, अनेक रोगों से पीड़ित एवं भयभीत रहने वाले होते हैं।


 

3.तीसरे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब तीसरे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका अपने भाइयों तथा स्त्री का प्रिय, दूसरों से मेलमिलाप रखते हुए उनसे स्नेह रखने वाले रखने वाले, धर्म में रुचि रखने वाला, शास्त्रों के प्रति उनका झुकाव ज्यादा होता है, शूरवीर, कवि और कीर्तिवान होते हैं।


4.चौथे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब चौथे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका  सुखों से रहित अर्थात् दुःखी, दूसरों से तर्क-वितर्क करने वाला, प्रभावहीन, सत्य से रहित और अपवित्र होते हैं।


5.पांचवे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब पांचवे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका अहंकार से रहित, कुत्सित भोजन में रुचि रखने वाला, कुपुत्रों से युक्त, अत्यधिक कष्ट को भोगने वाला और बनावटी स्वभाव वाला होते हैं।



6.छठे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब छठे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका सुख से हीन, दरिद्र,अल्पायु, रोगों से पीड़ित, सदैव उत्सुक रहने वाला और शत्रुओं से रहित होते हैं।


7.सातंवे घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब सातवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका व्याकुल रहने वाला, सदैव उत्साही, धन से हीन, गुणहीन और अत्यधिक मायावी प्रवृति के होते हैं।



8.आठवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब आठवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका अनेक रोगों से पीड़ित,अल्पायु, सुन्दर बुद्धि वाला, प्रसन्न रहने वाला, लज्जा से हीन और युद्ध में भयभीत होता हैं


9.नवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब नवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका विनम स्वभाव वाला, महान व्यक्तित्व वाला, अत्यधिक प्रतापी, सज्जनों का प्रिय और नीति का ज्ञाता होता हैं। वैद्यनाथ के अनुसार धनवान किन्तु नेत्ररोग से पीड़ित होता हैं।



10.दशवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब दशवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका चतुरता से रहित, स्वभाव से दुष्ट, दुर्बुद्धि वाला, विनम्र स्त्री वाला और स्त्रियों में अनुरक्त रहने वाला होता है।



11.ग्याहरवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल:-जब ग्याहरवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका को धनवान, सुन्दर घोड़े आदि वाहनों से समृद्ध, देवताओं का भक्त और अनेक मित्रों वाला होता है।



12.बारहवें भाव में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति का फल :-जब बारहवें घर में रवि ग्रह एवं सोम ग्रह की युति होती हैं, तब जातक या जातिका को अल्प सुखों से युक्त, निराशावान, अल्पायु, दीन-हीन, कुरूप और शत्रुओं से पराजित होता हैं।


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