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Monday 4 October 2021

मंगल कवच(Mangal Kavach)

 




मंगल कवच(Mangal Kavach):-मंगलदेव को खुश करने के लिए ऋषि कश्यप जी ने मंगल कवच की रचना की थी। जिससे मंगल देव के द्वारा मंगल ग्रह के जन्मकुंडली में कमजोर स्थिति में होने से मंगल ग्रह के असर को कम किया जा सके। मंगल ग्रह में क्रोध बहुत होता है, जब क्रोधित होते है तब अपना आपा खो देते है, वे किसी तरह का विचार नहीं करते हैं, जिनको बहुत क्रोध आता है उनको तो अपने क्रोध को शांत करने का एकमात्र उपाय मंगल कवच ही है। मंगलदेव को मंगल कवच के द्वारा अपने ऊपर उनकी कृपा दृष्टि करवाया जा सकता हैं। 


मंगल कवच के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है, भूत-प्रेत एवं पिशाच आदि डरावने वाले से उनका नाश करके उनसे मुक्ति प्रदान करवाता हैं और समस्त तरह की सिद्धि दिलवाने वाला हैं। सभी बीमारियों से मुक्ति, भोग एवं मोक्ष को पाया जा सकता हैं।



किसी भी मनुष्य के द्वारा बिना गुनाह के फस जाने पर कारागार की सजा से मुक्त करवाने का सबसे उत्तम उपाय यह कवच होता हैं।


           ।।अथ श्री मंगल कवच।।


विनियोग:-अस्य श्री मंगलकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः।


अनुष्टुप्छन्दः। अङ्गारको देवता। भौम पीडापरिहारार्थं जपे विनियोगः।


                     ।। मंगल ध्यान।।


रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत्।


धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा मम स्याद् वरदः प्रशांतः।।



                 ।।कवचम्।।


अंगारकः शिरोरक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः।


श्रवौ रक्ताम्बरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः।


नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः।


भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा।


वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।।


कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः।


जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा।।


सर्वाण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः।।


या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रुनिवारणम्।


भूत-प्रेत-पिशाचानां नाशनं सर्वसिद्धिदम्।।


सर्वरोगहरं चैव सर्वसम्पत्प्रदं शुभम्।


भुक्ति-मुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम्।।


रोगबंध विमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः।।



।।इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे मंगलकवचं संपूर्णं।।






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