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Saturday 25 September 2021

श्री सूर्य कवच स्तोत्रं (Shri Surya kavach stotra)

                    





श्री सूर्य कवच स्तोत्रं (Shri Surya kavach stotra):-सभी ग्रहों के राजा सूर्यदेव को माना जाता है, इसलिए सूर्य भगवान को खुश करने के लिए उनकी आराधना करनी चाहिए। क्योंकि सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना जाता है, जब मनुष्य की आत्मा में किसी तरह की कोई भी विकृति नहीं रहेगी तो मनुष्य अपने जीवन को सही ढंग से चला सकता हैं। सभी तरह व्यवसाय और नौकरी का कारकेश सूर्य ग्रह को माना जाता हैं। 


इस तरह सूर्य भगवान की अनुकृपा पाने के लिए मनुष्य को उनके सूर्य स्तोत्रं कवच का जाप करना चाहिए। जिससे सूर्य भगवान की कृपा दृष्टि प्राप्त हो सके और मनुष्य का जीवन सही ढंग से चल सके। 


मनुष्य की सभी तरह के रोगों की मुक्ति पाने, शरीर को स्वस्थ रखने और सभी तरह सुख-समृद्धि को प्राप्त करने में सूर्य कवच स्तोत्रं एक तरह से रामबाण की तरह ही होता है।




               ।।अथ श्रीसूर्यकवचस्तोत्रम्।।


ऊँ गणेशाय नमः:-भगवान गणेश जी की वंदना करते हुए श्रीसूर्यकवच स्तोत्रं का विवरण लिख रहा हो


याज्ञवल्क्य उवाच:-याज्ञवल्क्य ऋषि के अनुसार सूर्य कवच स्त्रोतं के बारे में उनके ग्रन्थ में जो विवरण दिया गया है, वह इस तरह है इस स्तोत्रं का जाप करके अपने जीवन में उन्नति को प्राप्त कर सकते हैं।


श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम्।।1।।


दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम्।

ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्।।2।।


शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः।

नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः।।3।।


घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः।

जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः।।4।।


स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः।

पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः।।5।।


सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके।

दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः।।6।।


सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः।

स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति।।7।।


।।इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं।।

     ।।जय बोलो सूर्यदेवजी की जय।।

       ।।जय भास्कर देव की जय।।


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