श्री गीता जी की आरती(Shri Gita Ji Ki Aarti):-मनुष्य को अपने बुरे किये गए कर्मों से मुक्ति को प्राप्त करने के लिए माता गीता जी की आरती को नियमित रूप पाठन या वांचन करना चाहिए। जिससे मनुष्य को इस भागदौड़ की दुनिया में जो भी उसके द्वारा गलत आचरण एवं गलत किये गए कार्यों से मुक्ति मिल सके है। श्री गीता जी के उपदेशों को अपने जीवन में उतारना चाहिए अपने जीवन की नैया को पार करना चाहिए।
।।अथ श्री गीताजी की आरती।।
करो आरती गीता जी की।
जग की तारन हार त्रिवेणी,
स्वर्गधाम की सुगम नसेनी।
करो आरती गीता जी की।।
अपरमार शक्ति की देनी,
जय हो सदा पुनिता की।।
करो आरती गीता जी की।।
ज्ञानदीप की दिव्य ज्योति मां,
सकल लगत की तुम विभूति मां।
करो आरती गीता जी की।।
महा निशातीत प्रभा पूर्णिमा,
प्रबल शक्ति भय गीता की।।
करो आरती गीता जी की।।
अर्जुन की तुम सदा दुलारी,
सखा कृष्ण की प्राण प्यारी।।
करो आरती गीता जी की।।
षोडश कला पूर्ण विस्तारी,
छाया नम्र विनिताकी।।
करो आरती गीता जी की।।
श्याम का हित करने वाली,
मन का सब मैल हरने वाली।।
करो आरती गीता जी की।।
नव उमंग नित भरने वाली,
परम प्रेमिका कान्हा की।।
करो आरती गीता जी की।।
।।इति श्री गीताजी की आरती।।
।।जय बोलो गीताजी की जय हो।।
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