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Tuesday 31 August 2021

श्री बगलामुखी जी की आरती(Shri Baglamukhi ji ki Aarti)

                 


श्री बगलामुखी जी की आरती(Shri Baglamukhi ji ki Aarti):-श्री बगलामुखी जी की आरती को हमेशा जो भी भक्त करता है, उस भक्त पर किसी तरह के भी तंत्र-मन्त्रों के दूषित प्रभाव का असर नहीं होता है। क्योंकि तंत्र-मन्त्रों की अधिष्ठात्री देवी बगलामुखी माता को माना जाता है। इसलिए माता बगलामुखी की अरदास के रूप में आरती को करते रहना चाहिए। अपने जीवनकाल में किसी भी तरह के संकटों से मुक्ति पाने के लिए माता को उनकी आरती करके खुश करना चाहिए।


दोहा:- बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय।

विनती कुलपति सुनिलजोशी की, सुख-सम्पति सब होय।।

अर्थात्:-जब कोई भी माता बगलामुखी की आरती को करता है, तब उस पर माता बगलामुखी जी की अनुकृपा हो जाती है। सुनिलजोशी आपसे प्रार्थना करता है, की हे बगलामुखी माता! आप अपने सच्चे भक्तों के दुखों को दूर करके उनको सभी तरह के सुख को प्रदान कीजिए। 



।।अथ आरती श्री बगलामुखी जी की।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया।

पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी।

चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी।

पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजयारी।

तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुम्ही हो असुरारी।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

सन्तनको सुख सदा देत सदा ही, सब जनकी तुम प्राण पियारी।

तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताको हो सब भव-भयहारी।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।

प्रेम सहित जो करहिं आरती, ते नर मोक्षधाम अधिकारी।।

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया।।



।।इति श्री बगलामुखी माता की आरती।।

।।जय बोलो माता पर्वतवासिनी जी की जय हो।


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