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Monday 2 November 2020

षष्ठम भाव में राशियों का फल



षष्ठम भाव में राशियों का फल :-


1. मेष राशि :- जन्मकुंडली के षष्ठ भाव में मेष राशि हो,तो जातक पशुधन से युक्त, ज्यादा मूर्ख,डरावना एवं बेरोजगार होता हैं।


2. वृषभ राशि :- जन्म कुंडली के भाव षष्ठ भाव में वृषभ राशि स्थित हो, तो,पशुओं से शत्रुता करने वाला, स्त्रियों एवं निज बन्धुवर्ग की संगति से असत्यमार्ग अपनाने वाला होता है।


3. मिथुन राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में मिथुन राशि हो, तो जातक सदैव स्त्री जनित शत्रुता से युक्त, पापी, व्यापारी एवं निचजनों में अनुरक्त लोगों से शत्रुता करने वाला होता है।


4. कर्क राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में यदि कर्क राशि हो, तो जातक बीमार, सम्मानित, राजा के समान तुल्य होता है।


5. सिंह राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में यदि सिंह राशि हो,तो जातक पुत्र एवं भाई बंधुओं से दुश्मनी करने वाला, पीड़ित होकर धन के निर्मित शत्रुता करने वाला एवं सम्मानित स्त्रियों से स्वतंत्र करने वाला होता है।


6. कन्या राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में यदि कन्या राशि हो, तो जातक कन्याओं से, व्यभिचारिणी स्त्रियों से, सुंदर निर्णय करने वाली वेश्याओं एवं धनहीन स्त्रियों से शत्रुता रखता है।


7. तुला राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में यदि तुला राशि स्थित हो, तो जातक सजन,धार्मिक, कार्यकर्ता एवं अपने घर में रहने वाले बंधुओं से स्वतंत्र करता है।


8. वृश्चिक राशि :- यदि जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में वृश्चिक राशि स्थित हो, तो जातक चुगल खोरी से,सर्प से, बिच्छू से, हिंसक लोगों से ,चोर समुदाय से एवं बिल में रहने वाले जंतुओं से शत्रुता करता है।


9. धनु राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में धनु राशि हो तो, जातक शब्दयुक्त बाणों से युक्त मनुष्यों से ,हाथी और घोड़ों से एवं प्रवंचको से वैर रखता है ।


10. मकर राशि :- जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में मकर राशि स्थित हो,तो जातक धन के निमित्त लोगों से, मित्र, साधु, सम्मानित एवं घरवालों से शत्रुता रखता है।


11. कुंभ राशि :- यदि जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में कुंभ राशि स्थित हो, तो जातक राजकीय कार्य से धन, खेती आदि के कारण बावड़ी, तालाब आदि जलाशयों से एवं मैले वस्त्र पहनने वालों से शत्रुता रखता है।


12. मीन राशि :- यदि जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में मीन राशि स्थित हो, तो जातक जन्म से पुत्र एवं वस्त्र की शत्रुता से युक्त, स्त्री के कारण अपने लोगों के भय से  युक्त एवं परस्पर प्रीति करने वाले मनुष्यों से शत्रुता करता है।

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