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Monday 16 November 2020

काल पुरुष के अंगों में राशियों का न्यास

काल पुरुष के अंगों में राशियों का न्यास-:जो अव्यक्त आत्मा भगवान् काल स्वरूप विष्णु है, उनके अंग ही मेषादि द्वादश राशियाँ है। काल पुरुष के विभिन्न अंगों में राशियों का न्यास निम्नलिखित हैं: 


कालपुरुष के अंगों में राशियों का न्यास

राशियाँकाल पुरूष का अंग
मेषसिर (मस्तक) एवं उससे ऊपर का भाग।
वृषभमुख के अन्य अंग यथा आँखे, नाक,
कान,मुँह, ठोड़ी एवं गर्दन तक का भाग।
मिथुनवक्ष स्थल छाती का ऊपरी भाग
 एवं भुजाएँ।
कर्कह्रदय,महिलाओं का वक्ष स्थल एवं 
उदर से ऊपर का भाग।
सिंहकुक्षि,उदर का ऊपरी भाग या नाभिप्रदेश 
से ऊपर का क्षेत्र।
कन्याकटिप्रदेश एवं नाभि से बस्ति तक का क्षेत्र।
तुलाबस्ति।नाभि से गुप्तांग तक के क्षेत्र को
 दो भागों में निचला भाग बस्ति एवं 
ऊपरी भाग कन्या का क्षेत्र।
वृश्चिकजननेन्द्रियों एवं गुदा।
धनुदोनों जाँघे एवं नितम्ब।
मकरदोनों घूटने एवं उनके पीछे का क्षेत्र।
कुम्भदोनों पिंडलियाँ एवं उनके आगे का भाग।
मीनदोनों पैर।



काल पुरुष के अंगों में राशियों का न्यास का उपयोग-: निम्नलिखित हैं:

●जिस राशि में शुभ ग्रह हो या वह शुभ ग्रह से देखा जाए, तो जातक का उस राशि से सम्बन्धित अंग स्वस्थ और पुष्ट होगा।

●यदि राशि पाप ग्रह से द्रष्ट या युक्त हो, तो अंग कमजोर, दुर्बल एवं पीड़ा युक्त होगा।

 ●जिस ग्रह की दशा विद्यमान हैं और वह निर्बल एवं अशुभ फलदायक ग्रह है, तो दशानाथ जिस राशि में स्थित होगा या जिस राशि का वह स्वामी होगा, उससे सम्बन्धित अंगों में पीड़ा एवं रोग उत्पन्न करता हैं।



 ●तृतीयेश,कर्मेश एवं एकादशेश जिस-जिस राशि में स्थित हों और जातक की कुंडली में चिकित्सक बनने के योग हो, तो  जातक उन राशियों से सम्बन्धित अंगों का चिकित्सक होता हैं।

 ●फलित ज्योतिष के अन्य क्षेत्रों में कालपुरुष के अंगों में स्थित राशि का उपयोग होताा हैं।

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