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Sunday 18 June 2023

श्री राम रक्षा स्तोत्र का क्या महत्व हैं?(What is the importance of Shri Ram Raksha Stotra?)

श्री राम रक्षा स्तोत्र का क्या महत्व हैं?(What is the importance of Shri Ram Raksha Stotra?):-सभी परेशानियों का रामबाण इलाज श्री राम रक्षा स्तोत्र में है समस्याओं का अचूक इलाज। जहाँ भगवान श्री राम का नाम आ जाए ऐसा होना भी संभव हैं। लंका चढ़ाई के लिए बनाए गए सेतु पुल में पत्थर तैरने लगे थे, उन पत्थरों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ही नाम था। संस्कृत साहित्य में किसी भी देवी-देवता की स्तुति के लिए लिखे गये काव्य को स्तोत्र कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि राम रक्षा स्तोत्रम का जाप विधि अनुसार करने से मनुष्य की सारी परेशानियाँ, विपदाएं दूर हो जाती हैं। भगवान राम के नाम में ही इतनी शक्ति है कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श सदैव हमारे लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करते हैं। इसलिए जो व्यक्ति राम रक्षा स्तोत्र को जपता है तो उसके अंदर अच्छे गुणों का विकास होता है। वह व्यक्ति हमेशा ही सच्चे मार्ग पर चलता है तथा अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए बुराइयों को पराजित करता है। उसका व्यक्तित्व समाज के लिए प्रेरणा का कार्य करता है। अड़तीस श्लोकों का यह स्तोत्र बेहद ही शक्तिशाली हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रीराम के दिखाए गए मार्ग पर चलता है। उसे दैवीय शक्ति की आवश्यकता होती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राम का मार्ग बेहद कठिन है। आज के युग में इस पर चलना आसान नहीं है। इसलिए राम रक्षा स्तोत्र से व्यक्ति को इस मार्ग पर चलने की शक्ति मिलती हैं।

 


 

What is the importance of Shri Ram Raksha Stotra?




 


श्री राम रक्षा स्तोत्र की रचना:-राम रक्षा स्तोत्र की रचना बुध कौशिक (वाल्मीकि) ऋषि ने की थी। परंतु पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि महादेव शंकर स्वयं बुध कौशिक के स्वप्न में आए थे और उन्होंने ही ऋषि को श्री राम रक्षा स्तोत्र सुनाया था। जब सवेरा हुआ तो बुध कौशिक ने इस स्तोत्र को लिखा लिया। यह स्तोत्र देववाणी संस्कृत में हैं। आवश्यक नहीं है कि यह स्तोत्र केवल संकट के समय पढ़ा जाए। शुभ फल और भगवान श्री राम का आशीर्वाद पाने के लिए इसे सामान्य परिस्थिति में भी जपा जा सकता है। इसके उच्चारण से निकली शब्द ध्वनि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा संचालित करती हैं।




श्रीरामरक्षास्तोत्रम् का विनियोग:-किसी भी स्तोत्रं का वांचन करने से पूर्व उस स्तोत्रं के देवी-देवताओं को मन में धारित करते हुए उन पर पूर्णरूप से आस्था एवं श्रद्धाभाव रखते हुए स्तोत्रं के पाठ का संकल्प करना चाहिए।


श्रीगणेशायनमः विनियोग:-


अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः।


श्रीसीतारामचंद्रोदेवता अनुष्टुप् छन्दः


सीता शक्तिः श्रीमद्हनुमान् कीलकम्


श्रीसीतारामचंद्र प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।।


अर्थात्:-प्रथम पूज्य गणेशजी को हाथ जोड़कर नमन करते हुए, श्रीरामरक्षा स्तोत्रम् श्लोकों में मंत्रों की रचना बुधकौशिक ऋषिवर ने की थी, सीता एवं रामचंद्र देवता के रूप में हैं, जिसमें अनुष्टुप छंद हैं एवं सीता शक्ति के रूप में हैं, जिसमें हनुमानजी कीलक हैं, जो कोई श्रीरामरक्षा स्तोत्रम् के श्लोकों में वर्णित मंत्रों के द्वारा इनके देवता को याद करते हुए श्रीरामचन्द्रजी की प्रसन्नता के लिए वांचन का संकल्प करता हैं।



अथ ध्यानम्:-श्रीरामरक्षा स्तोत्रम् का पाठ करने से पहले भगवान् श्रीरामजी का ध्यान करना चाहिए, जिससे मन में किसी तरह की गलत भावना जागृत नहीं हो सकें और मन एक जगह पर स्थिर रहे। 


ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं।


पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।।


वामांकारुढ़सीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं।


नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचंद्रम्।।


              ।।इति ध्यानम्।।


चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।


एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्।।1।।


ध्यात्वा निलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।


जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्।।2।।


सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्त चरान्तकम्।


स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्।।3।।


रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्।


शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः।।4।।


कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती।


घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रत्रिवत्सलः।।5।।


जिह्वा विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः।


स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः।।6।।


करौ सीतपतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्।


मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः।।7।।


सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः।


ऊरू रघुत्तमः पातु रक्षः कुलविनाशकृत्।।8।।


जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः।


पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोSखिलं वपुः।।9।।


एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।


स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्।।10।।


पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिणः।


न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः।।11।।


रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्।


नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति।12।।


जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्।


यः कण्ठे धारयेत्तस्य  करस्थाः सर्वसिद्धयः।।13।।


वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्।


अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम्।14।।


आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः।


तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः।।15।।


आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्।


अभिरामस्त्रिलोकनां रामः श्रीमान् स नः प्रभु।।16।।


तारणौ रूपसंपन्नो सुकुमारौ महाबलौ।


पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ।17।।


फलमूलाशीनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।


पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।।18।।


शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।


रक्षः कुलनिहन्तारौ त्रायेतान नो रघूत्तमो।19।।


आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षयाशुगनिषंग सङ्गिनौ।


रक्षणाम मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्।।20।।


संनद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।


गच्छन्मनोरथोSस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः।।21।।


रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।


काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघुत्तमः।।22।।


वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरूषोत्तमः।


जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेय पराक्रमः।।23।।


इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्विताः।


अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्रोति न संशयः।।24।।


रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पितवाससम्।


स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्ण ते संसारिण़ नरः।।25।।


रामं लक्ष्मणं पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्।


काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्


राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्।


वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्।।26।।


रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे।


रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।।27।।


श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।


श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।


श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।


श्रीराम राम शरणं भव राम राम।।28।।


श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।


श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि।


श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये।।29।।


माता रामो मत्पिता रामचंद्रः।


स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।


सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्।


नान्यं जाने नैव जाने न जाने।।30।।


दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा।


पुरतो मारूतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम्।।31।।


लोकासभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।


कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये।।32।।


मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।


वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।33।।


कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्।


आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्।।34।।


आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्।


लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।35।।


भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्।


तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्।।36।।


रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे।


रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मे नमः।


रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम्।


रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर।।37।।


राम रामेति रामेति रमे रमे मनोरमे।


सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।38।।



।।इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम्।।



अर्थात्:-इस प्रकार बुध कौशिक द्वारा रचित श्रीराम रक्षा स्तोत्रं संपूर्णम् होता हैं।



                ।।श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु।।




श्रीराम रक्षा स्तोत्र की कैसे सिद्ध करें?(How to prove Shri Ram Raksha Stotra?):-यदि कोई भी इंसान श्रीराम रक्षा स्तोत्र के श्लोकों का वांचन करते हुए उससे अभीष्ट कार्य सिद्धि की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित विधि को अपनाना चाहिए।


सफलता पाने के लिए करें राम रक्षा स्तोत्र से जुड़ा यह टोटका:-


◆सरसों के दाने एक कटोरी में डाल लें।


◆कटोरी के नीचे कोई ऊनी वस्त्र या आसन होना चाहिए।


◆राम रक्षा मन्त्र को 11 बार पढ़े।


◆इस दौरान आपको अपनी उँगलियों से सरसों के दानों को कटोरी में घुमाते रहना है।


◆इस समय भगवान श्री राम की प्रतिमा या फोटो आपके आगे होनी चाहिए जिसे देखते हुए आपको मन्त्र पढ़ना है।


◆ग्यारह बार के जाप से सरसों सिद्ध हो जायेगी।


◆आप उस सरसो के दानों को शुद्ध और सुरक्षित पूजा स्थान पर रख लें।


◆जब आवश्यकता पड़े तो कुछ दाने लेकर आजमायें।


◆यदि किसी कोर्ट-कचहरी में कानूनी वाद-विवाद या मुकदमा हो तो उस दिन सरसों के दाने साथ लेकर जाएँ और वहां डाल दें जहाँ विरोधी बैठता है या उसके सम्मुख फेंक दें। ऐसा करने से उस केस का फैसला आपके हक में आएगा। कोर्ट के बाहर भी फैसला हो सकता है।


◆वहीं यदि आप खेल या प्रतियोगिता या साक्षात्कार में प्रतिभाग करने जा रहे हैं तो शुद्ध सरसों को साथ ले जाएँ और अपनी जेब में रखें। ऐसा करने से आप जिस किसी भी उद्देश्य से घर से बाहर निकले हैं आपका वह उद्देश्य पूर्ण होगा।


◆यात्रा में साथ ले जाएँ आपका कार्य सफल होगा।


◆राम रक्षा स्तोत्र से पानी सिद्ध करके रोगी को पिलाया जा सकता है। रोगी को इसमें लाभ मिलेगा।



श्री राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) को विधि-विधान:-के अनुसार वांचन करना चाहिए। हमारे धार्मिक शास्त्रों में प्रत्येक कर्मकांड को संपन्न करने के लिए विधि-नियम बताए गए हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि हम नित्य पूजा-पाठ करते हैं, अपने इष्ट देवी-देवताओं का स्मरण करते हैं किंतु उसका फल हमें प्राप्त नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है कि हम नियमों की अनदेखी कर पूजा पाठ या फिर ईश्वर की स्तुति करने लगते हैं। राम रक्षा स्तोत्र को भी विधि अनुसार जपना चाहिए। तभी साधक को उसका वास्तविक फल प्राप्त होता है।



श्री राम रक्षा स्तोत्र की जप विधि:-राम रक्षा स्तोत्र के माध्यम से जातकों को विविध क्षेत्रों में सफलता मिलती है। हालाँकि कार्य के अनुरूप ही इसकी विधि में भी परिवर्तन देखने को मिलता है।


■श्री राम रक्षा स्तोत्र का ग्यारह बार जरूर वांचन करना चाहिए, जो मनुष्य ग्यारह बार इस स्तोत्र का वांचन कर लेते हैं, तो इस स्तोत्र का असर पूरे दिन रहता हैं। 


◆जो मनुष्य श्री राम रक्षा स्तोत्र का वांचन लगातार पैंतालिस दिनों तक नियमित करते हैं, तो इस स्तोत्र का असर दोगुना हो जाता हैं।


◆श्री राम रक्षा स्तोत्र का वांचन नवरात्रि के नौ दिनों में जरूर करना चाहिए। 



◆श्री राम रक्षा स्तोत्र का वांचन करने से पहले देह को पवित्र करके और मन में बुरे विकारों को नहीं आने देना चाहिए और पूरे विश्वास और आस्था के साथ भगवान श्रीराम को अपने मन मंदिर मरण बैठाकर वांचन करना चाहिए। 



रामरक्षा स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?(When should one recite Ram Raksha Stotra?):-मनुष्य को गुरुवार और मंगलवार के दिन श्री राम रक्षा स्तोत्र का वांचन करने से भगवान श्रीराम और हनुमानजी का आशीर्वाद मिल जाता हैं।


श्री राम रक्षा स्तोत्र का लाभ:-श्री राम रक्षा स्तोत्र सभी समस्याओं का रामबाण इलाज है। इस स्तोत्र को जपने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे-


1.मनुष्य की आयु में बढ़ोतरी:-मनुष्य को अकाल मृत्यु से, चोट, दुर्घटना, बीमारी से रक्षा करते हुए आयु में बढ़ोतरी करता हैं।



2.संततिवान:-जिस दम्पत्ति को शादी करने के बहुत समय तक संतान नहीं होने पर श्रीराम रक्षा स्तोत्र का वांचन करने पर संतान की प्राप्ति होती हैं।

 


3.सभी क्षेत्र में तरक्की हेतु:-जो मनुष्य इस स्तोत्र का रोजाना वांचन करते हैं, उनको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की मिलती हैं। 


4.सभी तरह के सुख एवं रुपये-पैसे की कामना पूर्ति हेतु:-जो मनुष्य अपने जीवन में सभी प्रकार से सुख और रुपये-पैसों की चाहत रखते हैं, उनको स्तोत्र का वांचन करना चाहिए। 



5.शारीरिक कष्टों से राहत:-मनुष्य को अपने जीवन में मिलने वाले शारीरिक कष्टों से राहत हेतु स्तोत्र का वांचन करना चाहिए। 


6.दिलासा हेतु:-मनुष्य को अपने जीवन में प्राप्त होने वाले दुःख और कार्यों में आ रहे विघ्नों में धीरज प्रदान करने में स्तोत्र का अहम भूमिका होती हैं। 


7.अनावश्यक अनिष्ट की शंका से मुक्ति हेतु:-श्रीराम स्तोत्र का वांचन करना चाहिए।


8.बाहरी और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति:-जो मनुष्य नियमित रूप से श्रीराम रक्षा स्तोत्र का वांचन करते हैं, उनको यह स्तोत्र एक तरह से सुरक्षित आवरण प्रदान करता हैं। 



9.मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव से बचने हेतु:-मनुष्य को मंगलवार के दिन वांचन करना चाहिए, जिससे मंगल ग्रह की अनुकृपा मिल सकें। 



10.बजरंगबली का आशीर्वाद पाने हेतु:-जो मनुष्य श्रीराम रक्षा स्तोत्र का वांचन करते हैं उन पर भगवान श्रीराम के साथ बजरंगबली का आशीर्वाद मिल जाता हैं। 



11.जीवन की सभी विपत्तियों से मुक्ति हेतु:-श्रीराम रक्षा स्तोत्र का वांचन करना चाहिए।










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