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Monday 14 February 2022

संकटनाशन गणेश स्तोत्रं (Sankatnashan Ganesh Stotra)





संकटनाशन गणेश स्तोत्रं (Sankatnashan Ganesh Stotra):-भगवान गणेशजी को प्रसन्न करने का एकमात्र उपाय संकटनाशन गणेशद्वादशनाम स्तोत्रं के श्लोकों में वर्णित मन्त्रों का वांचन करें। जिससे विघ्नहर्ता गणेशजी अपनी अनुकृपा अपने भक्तों पर कर सके और भक्त को समस्त तरह से सिद्धि की प्राप्ति हो सके।



        ।।अथ श्री संकटनाशन गणेशद्वादशनाम स्तोत्रम्।।


नारद उवाच:-हे गौरीपुत्र विनायकम! नारदजी झुकते हुए नमन करते हुए। नारदजी कहते हैं, जो मनुष्य नियमित रुप से संकटनाशन गणेशद्वादशनाम स्तोत्रम् का वांचन करते हैं, उन मनुष्य भक्त की उम्र में वृद्धि, कार्य से सम्बंधित सिद्धि आदि के उद्देश्य पूर्ण गणेशजी कर देते हैं।


 प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।

भक्तावास स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये।।


गणेशजीकी के बारह नाम:-संकटनाशन गणेशद्वादशनाम स्तोत्रं में गणेशजी के बारह नाम बताए गए हैं, जो इस तरह हैं-

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।

तृतीयं कृष्णपीङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।

अर्थात्:-

पहला नाम वक्रतुण्ड हैं।

दूसरा नाम एकदन्त हैं।

तीसरा नाम कृष्णपीङ्गाक्षं हैं।

चौथा नाम गजवक्त्रं हैं।



लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठ विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टकम्।।

अर्थात्:-

पांचवाँ नाम लम्बोदर हैं।

छठा नाम विकट हैं।

सातवाँ नाम विघ्नराजेंद्र हैं।

आठवाँ नाम धूम्रवर्ण हैं।



नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।

एकादशं गणपतिं द्वादश तु गजाननम्।।

अर्थात्:-

नवाँ नाम भालचन्द्र हैं।

दसवाँ नाम विनायक हैं।

ग्यारहवाँ नाम गणपति और 

बारहवां नाम गजानन हैं।


द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।

अर्थात्:-जो मनुष्य सवेरे, दोपहर और सायंकाल तीनों संध्याओं के समय प्रतिदिन इन बारह नामों का पाठ करता हैं, उसे विघ्न का भय नहीं होता हैं। यह नाम स्मरण उसके लिए सभी सिद्धियों का उत्तम साधक है। 


विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्।।

अर्थात्:-इन नामों के जप से विद्यार्थी को विद्या, धनार्थी को धन, पुत्रार्थी अनेक पुत्र और मोक्षार्थी मोक्ष पाता हैं। इस गणपति स्तोत्रं का नित्य जप करे। जपकर्ता को छः महीने में अभीष्ट फल की प्राप्ति होती हैं। एक वर्ष तक जप करने से मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता हैं, इसमें संशय नहीं हैं।


जपेद गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्भासैः फलं लभेत्।

संवत्सरेण च संसिद्धिं लभते नात्र संशयः।।

अर्थात्:-जो मनुष्य गणपति स्तोत्रं का नियमित रूप से छः मास तक वांचन करता हैं, उस मनुष्य को अभीष्ट फल मिल जाता हैं। जो मनुष्य एक वर्ष तक नियमित वांचन करते हैं, उन मनुष्य को समस्त तर्ज की सिद्धि मिल जाती हैं, इसमें किसी भी की शंका नहीं हैं



अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।

तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।

अर्थात्:-जो भक्त इस स्तोत्रं को लिखकर आठ ब्राह्मणों को देता हैं, उस भक्त पर गणेशजी विद्या रूपी ज्ञान प्रसाद के रूप में दे देते हैं।


।।इति श्रीनारदपुराणे संकटनाशननाम गणेशद्वादशनाम स्तोत्रं संपूर्ण।।

       ।।जय बोलो गजाननजी की जय हो।।

।।जय बोलो विघ्ननाशक गणेशजी की जय हो।।

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