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Monday 31 January 2022

श्री विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रं(Shri Vishwanath Ashtakam Stotra)

 




श्री विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रं(Shri Vishwanath Ashtakam Stotra):-श्री काशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रं की रचना महर्षि व्यासजी ने अपनी अमृत वाणी से की हैं, जिनमें आठ श्लोकों के द्वारा काशी में स्थित शिवजी के स्वरूप विश्वनाथजी को खुश करके शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त हो जावे। जो मनुष्य इस स्तोत्रं के श्लोकों का वांचन करते हैं या दूसरे मनुष्य के द्वारा इस स्तोत्रं के गुणगान को सुनते हैं, उनकी समस्त कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसलिए मनुष्य को नियमित रूप से इस स्तोत्रं का वांचन करना चाहिए।


अथ श्रीकाशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रं:-श्रीकाशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रं को पढ़ने से पूर्व इस स्तोत्रं में वर्णित श्लोकों के उच्चारण को सही रूप से पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे मनुष्य को सही उच्चारण से उचित लाभ मिल सके।

गङ्गातरंगरमणीयजटाकलापं

गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम्।

नारायणप्रियमनंगमदापहारं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।१।।


वाचामगोचरनेकगुणस्वरुपं

वागीशविष्णुसुरसेवितपादपीठम्।

वामेनविग्रहवरेणकलत्रवन्तं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।२।।



भूताधिपं भुजगभूषणभूषितांगं

व्याघ्राजिनांबरधरं जटिलं त्रिनेत्रम्।

पाशांकुशाभयवरप्रदशूलपाणिं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।३।।



शीतांशुशोभितकिरीटविराजमानं

भालेक्षणानलविशोषितपंचबाणम्।

नागाधिपारचितभासुरकर्णपुरं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।४।।



पंचाननं दुरितमत्तमतदङ्गजानां

नागान्तकं दनुजपुंगवपन्नागानाम्।

दावानलं मरणशोकजराटवीनां

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।५।।



तेजोमयं सगुणनिर्गुणमद्वितीयं

आनन्दकन्दमपराजितमप्रमेयम्।

नागात्मकं सकलनिष्कलमात्मरुपं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।६।।



रागादिदोषरहितं स्वजनानुरागं

वैराग्यशान्तिनिलयं गिरिजासहायम्।

माधुर्यधैर्यसुभंग गरलाभिरामं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।७।।



आशां विहाय परिहृत्य परस्य निन्दां

पापे रतिं च सुनिवार्य मनः समाधौ।

आदाय हृत्कमलमध्यगतं परेशं

वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।।८।।


श्रीविश्वनाथाष्टकं स्तोत्रं फलश्रुति:-श्रीविश्वनाथाष्टकं स्तोत्रं फलश्रुति में स्तोत्रम् के वांचन करने से मिलने वाले लाभ के बारे में जानकारी मिलती हैं, जिससे मनुष्य इस स्तोत्रम् का वांचन करके या दूसरों के द्वारा सुनकर इस स्तोत्रम् के लाभों को पा सके।


वाराणसीपुरपतेः स्तवनं शिवस्य

व्याख्यातमष्टकमिदं पठते मनुष्यः।

विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्तिं

सम्प्राप्य देहविलये लभते च मोक्षम्।।

अर्थात्:-जो कोई मनुष्य श्रीविश्वनाथाष्टकं स्तोत्रं को विश्वास के साथ एवं मन में किसी तरह के बुरे विकारों नहीं रखते हुए जो भी भक्तिभाव को रखते हुए शिवजी के स्वरूप के गुणगान को श्रवण करते है या वांचन करते हैं, उन भक्त मनुष्य को अपने जीवनकाल में उच्च ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है और वह मनुष्य विद्वान बन जाते हैं। बहुत सारे रुपये-पैसों को अर्जित करके धनवान बन जाते हैं, उन मनुष्य का नाम समस्त जगहों पर फैल जाता हैं एवं समस्त प्रकार के सुख-समृद्धि से जीवन को जीते हुए व्यतीत करते हैं। फिर आखिर में जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर मोक्षधाम को पा लेते हैं।


विश्वनाथाष्टकमिदं यः पठेच्छिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

अर्थात्:-श्रीविश्वनाथाष्टकं स्तोत्रं को जो मनुष्य पढ़ते हैं, वे मनुष्य शिवलोक में शिवजी के साथ रहते हुए उनके चरण कमलों की सेवा करने का मौका मिलता हैं।


   ।।इति श्रीमहर्षिव्यास प्रणीतं श्रीविश्वनाथाष्टकं सम्पूर्णम्।।


अथ श्रीकाशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रं के वांचन से मिलने वाले लाभ (Benefits of reading Sri Kashi Vishwanath Ashtakam Stotram):-श्रीकाशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम् के श्लोकों को उच्चारण करते रहने पर मनुष्य को बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं, जो इस तरह हैं-


◆उच्चज्ञान की प्राप्ति हेतु:-शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रवृत्तिधारी को अपने ज्ञान के क्षेत्र में बढ़ोतरी होती हैं और वे सब तरह से विद्वान बन जाते हैं।


◆धनवान बनने हेतु:-जो मनुष्य इस स्तोत्रम् के श्लोकों का वांचन करते हैं, वे अधिक रुपयों-पैसों को कमाकर धनवान बन जाते हैं।


◆प्रसिद्धि को पाने हेतु:-मनुष्य की चाहत होती हैं, की उसकी प्रसिद्धि चारों तरफ हो जावे, इसके लिए मनुष्य को इस स्तोत्रम् का वांचन करना चाहिए।


◆समस्त जीवनकाल की जरूरत को पूरा करने हेतु:-मनुष्य के जीवनकाल में अनेक तरह की भौतिक एवं शारिरिक आवश्यकताओं होती हैं। इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मनुष्य दिन-रात मेहनत करते हैं, तब भी वे जरूरतें पूर्ण नहीं हो पाती हैं। तब उन मनुष्य को नियमित रूप से श्रीकाशी विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम् के श्लोकों का पाठन शुरू कर देना चाहिए, जिससे विश्वनाथ जी का आशीर्वाद मिल जाता हैं।


◆मोक्षधाम को पाने हेतु:-मनुष्य का लक्ष्य होता हैं कि जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा मिल जावें, तो मनुष्य को इस स्तोत्रम् के श्लोकों का वांचन शुरू कर देना चाहिए, जिससे जगत में आने व जाने से छुटकारा मिल जावें और उस मनुष्य का उद्धार हो जावें।





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