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Wednesday 4 November 2020

ग्रहों की स्वराशियाँ , उच्च एवं नीच और ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँ

ग्रहों की स्वराशियाँ :- भारतीय फ़लित ज्योतिष में द्वादश राशियों का स्वामित्व सूर्यादि सप्तग्रहों में से सूर्य एवं चन्द्रमा को एक-एक राशि का तथा पंचतारा ग्रहों (मंगल,बुध,गुरू, शुक्र,एवं शनि) को दो-दो राशियों को स्वामित्व प्रदान किया गया हैं। ग्रहों की स्वराशियाँ निम्नाकिंत हैं:


ग्रहों की स्वराशियाँ

ग्रहस्वराशियाँ
सूर्यसिंह
चन्द्रमाकर्क
मंगलमेष,वृश्चिक
बुधमिथुन, कन्या
गुरुधनु,मीन
शुक्रवृषभ,तुला
शनिमकर,कुम्भ

ग्रहों की उच्च एवं नीच राशियाँ :- फलित ज्योतिष में ग्रहों की उच्च एवं नीचराशियाँ निम्नानुसार हैं

उच्च राशि :- जो स्थान(किसी ग्रह के लिए परिक्रमा पथ में)अपमण्डल से (अधिकतम)दूर स्थित होता है, इसलिए इसकी 'उच्च संज्ञा' दी गई है। वह (उच्च) प्रदेश भी गतिशील होता है अर्थात् बदलता रहता है।  


ग्रहों की उच्च एवं नीच राशियाँ

ग्रहउच्चराशि
परमोच्चान्श

नीच राशि 
परम् नीचान्श
सूर्यमेष (10°) तुला (10°)
चन्द्रमावृषभ (03°)वृश्चिक(03°)
मंगलमकर(28°)कर्क(28°)
बुधकन्या(15°)मीन(15°)
गुरु कर्क(05°)मकर(05°)
शुक्र मीन(27°)कन्या(27°)
शनि तुला(20°)मेष(20°)

ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँ :- चन्द्रमा की मूल त्रिकोण राशि   उसकी  उच्चराशि वृषभ है,शेष छह ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँँ उनकी स्वराशियाँ  है। सूर्य की मूल त्रिकोणराशि सिंह राशि है बुध की मूल त्रिकोणराशि कन्या राशि,शुक्र की मूलत्रिकोण राशि तुला राशि एवं शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ राशि है। मंगल की मूल त्रिकोण राशि मेष राशि एवं गुुरु की मूल त्रिकोण राशि धनु राशि है।

 सूर्य, गुरु, शुक्र एवं शनि एवं अपनी मूल त्रिकोण राशियों में आरंभ के 20 अंश तक मूल त्रिकोण होते हैं उसके पश्चात  वे स्वराशि  में  होते हैं। 

राहु एवं केतु की स्वराशि, उच्चराशि, मूलत्रिकोण राशि एवं  नीचराशि :- जो निम्नलिखित हैं

●राहु की स्वराशि कन्या, उच्चराशि मिथुन, मूलत्रिकोण राशि कुम्भ एवं  नीचराशि धनु राशि हैं।
 
●केतु की स्वराशि मीन, उच्चराशि धनु,मूलत्रिकोण राशि सिंह एवं नीचराशि मिथुन राशि हैं।

सूर्यादि नवग्रहों स्वराशि, उच्चराशि,मूलत्रिकोण राशि परमोच्चांश 

ग्रहमूल
त्रिकोण
राशि
मूल
त्रिकोण
अंश
स्व-
राशि 
अंश
उच्च
राशि 
अंश
सूर्यसिंह0°-20°20°-30°---
चन्द्रमावृषभ3°-30°---0°-3°
मंगलमेष0°-12°12°-30°---
बुधकन्या15°-25°25°-30°0°-15°
गुरुधनु0°-20°20°-30°---
शुक्रतुला0°-20°20°-30°---
शनिकुम्भ0°-20°20°-30°---

सूर्यादि नवग्रहों स्वराशि,उच्च
राशि,मूलत्रिकोणराशि,नीचराशि,परमोच्चांश केे एवं परम्
नीचांश

ग्रहस्व
राशि
उच्च राशिपरम्
उच्च अंश
मूल त्रिकोण
राशि
नीच
राशि
परम्
नीच 
राशि
सूर्यसिंह
(20°-
30°)
मेष
10°
सिंह
(0°-
20°

तुला6-10°
चन्द्रमाकर्कवृषभ
0°3°

वृषभ

30°
वृश्चिक
मंगलमेष
(12°
30°),
वृश्चिक

मकर9
28
मेष
0
12
कर्क3
28
बुधमिथुन
,कन्या
25
30
कन्या
0
15
5
15
कन्या
15
25
मीन11
15
गुरुधनु
20
30
मीन
कर्क3
5
धनुमकर9
5
शुक्रवृषभ
तुला
20
30
मीन11
27
तुला
0
20
कन्या5
27
शनिमकर
कुम्भ
20
30
तुला620कुम्भ
0
20
मेष0
20
राहुकन्यामिथुन
कुम्भधनु
केतूमीनधनु
सिंहमिथुन
  
स्व,उच्च,नीचादि में ग्रहों का शुभत्व एवं बल :- ग्रह राशि कुंडली अथवा अन्य वर्गों में जिस राशि में स्थित होते हैं, उसके आधार पर भी शुभत्व एवं बल प्राप्त करते हैं और उसके अनुसार शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं।

विभिन्न राशियों में ग्रहों का शुभत्व एवं बल निम्नांकितहैं:
स्व,उच्च,नीचादि में ग्रहों का शुभत्व एवं बल

राशिबल
उच्चराशि100℅
मूलत्रिकोणराशि75℅
स्वराशि50℅
मित्रराशि25℅
अधिमित्रराशि75℅
समराशि12.5℅
शत्रुराशि6.25℅
अधिशत्रुराशि3.125℅
नीचराशि0℅

अशुभ फलों की दृष्टि से देखा जाए, तो नीच राशि में ग्रह अपने अशुभ फलों को पूर्णता से, शत्रु राशि में अशुभ फलों को कुछ कम,  उच्च राशि में शून्य,  मित्र राशि में75%,अपनी राशि में 50%, मूलत्रिकोण राशि  25%अशुभ फलप्रदान करता हैं

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