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Wednesday 11 November 2020

राशियों की धातु-मूल-जीव संज्ञा

राशियों की धातु-मूल-जीव संज्ञा :- को तीन भागों में विभक्त किया गया है:

(1.)धातु संज्ञक राशियाँ :- मेष,कर्क,तुला एवं मकर धातु संज्ञक राशियाँ हैं। सोना आदि समस्त धातु, मृतिका धातु  होते हैं

(2.)मूल संज्ञक राशियाँ :- वृषभ,सिंह,वृश्चिक एवं कुम्भ मूल संज्ञक राशियाँ हैं। तृण, वृक्ष आदि मूल संज्ञक हैं।

(3.)जीव संज्ञक राशियाँ :- मिथुन,कन्या,धनु एवं मीन जीव संज्ञक राशियाँ हैं। सभी प्रकार के जीव अर्थात प्राणी जीव संज्ञक हैं।

राशियों की धातु-मूल-जीव संज्ञा सारणी

संज्ञकधातुमूलजीव
राशियाँमेष,कर्क,
तुला,मकर
वृषभ,सिंह,
वृश्चिक,कुम्भ
मिथुन,कन्या,
धनु,मीन

धातु-मूल-जीव संज्ञक राशियों का फल-:यदि कोई ग्रह  अशुभ फलदायक है और जन्मकुंडली में हानि संकेत दे रहा है, तो धातु (संपत्ति), मूल (फसल) अथवा जीव (जीवन) से सम्बन्धित अशुभ फल वह जिस संज्ञक में स्थित होता है, देता है।

● यदि वह शुभ ग्रह है,तो राशि की जीवादि संज्ञा के आधार पर शुभ फल प्राप्त होते हैं। 

●  दशानाथ जिस जीवादि संज्ञक राशि में स्थित होता हैं, वह उस राशि की संज्ञा के अनुरूप अपनी दशावधि में शुभाशुभ फल प्रदान करता हैं।

● यदि दशानाथ मूल संज्ञक राशि :- में हैं और शुभ फल प्रदान करने वाला हैं, तो फसल,पुष्प, फल, अन्न आदि से सम्बन्धित शुभाशुभ  फल प्राप्त होते हैं। 

● यदि दशानाथ धातु संज्ञक राशि :- में हैं और शुभ फल प्रदान करने वाला हैं, तो स्वर्ण(सोना), चांदी, लोहा, पीतल, तांबा आदि की प्राप्ति होती हैं।

● यदि दशानाथ जीव संज्ञक राशि :- में हैं और  शुभ फल प्रधान प्रदान करने वाला हैं, तो प्राणियों का या प्राणियों से लाभ होता है। जातक का विवाह होता है,पुत्र अथवा पुत्री की प्राप्ति होती हैं, नौकरादि की प्राप्ति होती हैं, पशुओं की इत्यादि की प्राप्ति होती हैं।

● इसी प्रकार का फल गोचरस्थ से भी प्राप्त होता है।

● प्रश्न कुंडली में लाभादि के प्रश्न के सम्बन्ध में धातु, मूल, जीव संज्ञा के आधार पर फल कथन किया जाता हैं।

राशियों का वर्ण :- भारतीय समाज वर्णव्यवस्था के अंतर्गत विभक्त किया हुआ हैं। राशियों को भी वर्णव्यवस्था के आधार पर चार वर्णों में विभक्त किया गया हैं, जो निम्नलिखित हैं:

राशियों का वर्ण

संज्ञकराशियाँ
क्षत्रियमेष,सिंह एवं धनु(1,5,9)।
वैश्यवृषभ,कन्या एवं मकर(2,7,10)।
शुद्रमिथुन, तुला एवं कुम्भ(3,8,11)।
ब्राह्मणकर्क,वृश्चिक एवं मीन(4,8,12)।

राशियों के वर्ण का फल एवं उपयोग-: निम्नलिखित हैं:

● जिस वर्ण की राशि का लग्न होता है, उसी वर्ण की राशि में यदि लग्नेश और चंद्रमा स्थित हो, तो जातक का नैसर्गिक गुण उसी वर्ण के अनुसार होता है।

● यदि भाग्य भाव में जो राशि स्थित होती हैं, उसका वर्ण और भाग्येश जिस राशि में स्थित होता है, उसका वर्ण समान हो, तो जातक को उस वर्ण के व्यक्तियों के मध्यम से भाग्योदय होता है।

● यदि जन्म कुंडली में एकादशेश जिस राशि में स्थित होता है, उसका वर्ण एवं एकादश भाव में स्थित राशि का वर्ण समान हो, तो जातक को उस वर्ण के व्यक्तियों से लाभ होता है।

● षष्ठ भाव में गई हुई राशि तथा षष्ठेश जिस राशि में स्थित हैं, दोनों का वर्ण समान हो, जातक की उस वर्ण के व्यक्तियों से शत्रुता होती हैं।

● प्रश्नकुंडली में भी राशियों के वर्ण का उपयोग किया जाता है। 

● वैवाहिक गुण मिलान के अंतर्गत भी गुण मिलान किया जाता है।








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