राशियों के स्वामी ग्रह :- सूर्य आदि सप्तग्रहों को द्वादश राशियों का स्वामित्व प्रदान किया गया हैं। सूर्य एवं चन्द्रमा को एक-एक राशि का स्वामी मन गया है, वहीं पंचतारा ग्रहों (मंगल, बुध,गुरु, शुक्र एवं शनि) का स्वामित्व दो-दो राशियों पर माना गया है। राशियों पर ग्रहों का स्वामित्व निम्नलिखित प्रकार हैं
राशियों के स्वामी ग्रह :-
राशियाँ | स्वामी ग्रह |
---|---|
मेष | मंगल |
वृषभ | शुक्र |
मिथुन | बुध |
कर्क | चन्द्रमा |
सिंह | सूर्य |
कन्या | बुध |
तुला | शुक्र |
वृश्चिक | मंगल |
धनु | गुरु |
मकर | शनि |
कुम्भ | शनि |
मीन | गुरु |
रााशियों के स्वामी याद रखने का सूूत्र 'जातकतत्त्व' में निम्नलिखित हैंं:
"मन्शुबुचरबुशुुुमन्गुुुशशगवोमेेेषादीशा:!"
स्वराशि का अर्थ:-जिस ग्रह का जिस राशि पर स्वामित्व है, वह उसकी 'स्वराशि'कहलाती हैं।
ग्रहों की अस्तराशि :- :ग्रहों की शुभ राशि से सातवीं राशि उसकी अस्त राशि कहलाती हैं। अस्त राशि में गया हुआ ग्रह भी निर्बल माना जाता है। इसका प्रचलन भारतीय ज्योतिष में न होकर पाश्चात्य ज्योतिष में हैं।
बली राशि :- कोई राशि बलवान होती है जबकि वह
1 अपने स्वामी के मित्र से द्रष्ट या युक्त हो।
2 अपने स्वामी के मित्र से द्रष्ट या युत हो।
3 बुध या वृहस्पति से द्रष्ट या युत हो। तथा अन्य किसी ग्रह से द्रष्ट या युत न् हो। जो राशि किसी ग्रह से युत या द्रष्ट नहीं है, तो अपने पूर्वोक्त स्वभावानुसार फल प्रदान करती हैं।
ग्रह से युत अथवा द्रष्ट होने पर उसके स्वभावनुसार फल प्रदान करती हैं। शुभ ग्रह योग एवं दृष्टि से पाप राशि भी शुभफल प्रदान करने वाली हो जाती हैं। इसके विपरीत पाप ग्रह से दृष्टि या युति सम्बन्ध रखने वाली शुभ राशि भी का फल पापफल प्रदान करने लग जाती हैं।
राशियों का रंग:-द्वादश राशियों के रंग निम्नलिखित हैं-
राशियाँ | रंग |
---|---|
मेष | रक्त |
वृषभ | श्वेत |
मिथुन | तोते जैसा हरा |
कर्क | पाटल |
सिंह | धूम्र |
कन्या | चित्र-विचित्र |
तुला | कृष्ण |
वृश्चिक | सुनहरा,खाकी रंग( पिशंग) |
धनु | पिंगल |
मकर | कर्बूर |
कुम्भ | बभ्रु |
मीन | मछली जैसा श्वेत |
राशियों कि पंगु आदि संज्ञादि:-राशियों को तीन रुपो में पंगु,अंध,एवं बधिर में बाँटा गया है जो निम्नलिखित है
1 पंगु राशियाँ :- कुम्भ एवं मीन राशि पंगु संज्ञक हैं।
2 अंध राशियाँ :- मेष,वृषभ,मिथुन, कर्क,सिंह,एवं कन्या राशि अन्धसंज्ञक होती हैं।
3 बधिर राशियाँ :- तुला,वृश्चिक,धनु एवं मकर राशि बधिर संज्ञक होती हैं।
राशियों कि पंगु आदि संज्ञादि का उपयोग मुहूर्त शास्त्र में किया जाता हैं।
बहुप्रजादी राशियाँ:- को तीन भागों में बाँटा गया हैं। जो निम्नलिखित हैं।
1 बहु प्रज :- कर्क, वृश्चिक,मीन।
2 बन्ध्या राशि :- मिथुन, सिंह,कन्या।
3 विभव राशि :- मेष,तुला
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